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UP: 84 प्रतिशत मामलों में डायल 112 ने घटनास्थल पर ही कराया समस्याओं का निस्तारण

Dial 112

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लखनऊ: अपराध और अपराधियों के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस की नीति का ही परिणाम है कि यूपी आज माफियावादा और गुंडाराज से पूरी तरह से मुक्त हो चुका है। इसके अलावा अन्य अपराध जैसे राहजनी, चोरी, लूट, डकैती, छेड़खानी, तस्करी, जमीनी विवाद और दो पक्षों में टकराव जैसे रुटीन क्राइम पर भी योगी की पुलिस ने त्वरित रिस्पॉन्स दिखाते हुए क्राइम कंट्रोल की दिशा में प्रदेश को बेहतर स्थिति में ला के खड़ा कर दिया है। 2016 में अपने गठन के बाद से बीते साढ़े छह साल में यूपी पुलिस की तत्काल सहायता सेवा डायल 112 ने अपने रिस्पॉन्स टाइम को 1 घंटे की देरी से घटाते हुए 10 मिनट से भी कम समय तक लाने में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। डायल 112 की इसी तत्परता का नतीजा है कि उत्तर प्रदेश आज सुरक्षित प्रदेश के रूप में पहचाना जाने लगा है।

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सीएम ने लगातार की मॉनीटरिंग, तय की जवाबदेही, तब सामने आया रिजल्ट

नवंबर 2016 में डायल 112 (पहले डायल 100) सेवा की शुरुआत जरूर हुई मगर आपात स्थिति में फंसे लोगों को तत्काल सहायता प्रदान करने में ये सेवा नाकामयाब ही साबित हुई। एक घंटे से भी अधिक देर का रिस्पॉन्स टाइम मुसीबत में फंसे लोगों के लिए सुविधा कम टेंशन ज्यादा थी। वहीं 2017 में यूपी की सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहला काम क्राइम कंट्रोल को लेकर शुरू किया। इसमें सबसे अधिक मजबूती देने का काम डायल 112 सेवा के लिए किया गया। लगातार मॉनीटरिंग और अधिकारियों की जवाबदेही तय करते हुए सतत फीडबैक का ही नतीजा रहा कि यूपी डायल 112 के रिस्पॉन्स टाइम में शानदार गुणात्मक सुधार आया। अखिलेश राज में जिस डायल 112 (तब डायल 100) को पीड़ित व्यक्ति तक पहुंचने में एक घंटे से भी ज्यादा का समय लगता था, आज वह महज 9 मिनट 44 सेकेंड में मुसीबत में फंसे लोगों को मदद मिल रही है।

84 प्रतिशत मामलों का घटनास्थल पर निस्तारण

डायल 112 के जिम्मे सबसे ज्यादा आपसी विवाद के मामले आते हैं। इसके बाद क्रमश: मारपीट, संपत्ति विवाद, हत्या का प्रयास, चोरी, दुर्घटना, दो समूहों में विवाद और महिला हिंसा के मामलों में डायल 112 ने क्विक रिस्पॉन्स का बेहतरीन मॉडल पेश किया है। अपने स्थापना से लेकर अब तक डायल 112 सेवा ने उत्तर प्रदेश में 3.8 करोड़ से भी ज्यादा मामलों को कवर किया है, जिसमें से 84 प्रतिशत मामलों को घटनास्थल पर ही निस्तारित करने में इसे सफलता मिली है। इसका सबसे बड़ा असर यूपी के सभी 75 जनपदों में लोकल थानों की पुलिस को मिला है। डायल 112 सेवा के चलते जनपद पुलिस के कार्यभार में काफी कमी आई है। इसके साथ ही सेवा, समर्पण और तत्परता को लेकर आम जनता का पुलिस पर विश्वास भी बढ़ा है।

दुर्घटना पीड़ितों के लिए देवदूत है डायल 112

सिर्फ क्राइम कंट्रोल के मोर्चे पर ही नहीं, बल्कि डायल 112 सेवा किसी भी सड़क या अग्निकांड के बाद सबसे पहले सहायतार्थ पहुंचने वाली सेवा भी है। दुर्घटना में फंसे लोगों की तत्काल मदद करते हुए उन्हें अस्पताल तक पहुंचाने वाली ये सेवा पीड़ितों के लिए देवदूत से कम नहीं है। प्रतिदिन प्रदेश में 100 से भी ज्यादा मामलों में डायल 112 सेवा घायलों को अस्पताल पहुंचाने का काम कर रही है। प्रदेश में इस वक्त लगभग 32सौ चार पहिया और 16 सौ दो पहिया वाहन पुलिस रिस्पॉन्स व्हीकल (पीआरबी) के रूप में कार्यरत हैं, जिसमें 35 हजार पुलिस कर्मी तैनात हैं। इसमें कॉल सेंटर में 683 संवाद अधिकारी और 249 टेक्निकल जनशक्ति और सपोर्ट स्टाफ के रूप में प्रदेशवासियों को राहत प्रदान करने का काम कर रहे हैं। डायल 112 सेवा ना सिर्फ मोबाइल फोन पर बल्कि सभी सोशल नेटवर्किंग साइट के जरिए भी आप पब्लिक से पूरी तरह से कनेक्ट है। ट्विटर, ईमेल, फेसबुक, वाट्सएप और टेक्स्ट मैसेज के जरिए भी डायल 112 पब्लिक से जुड़ी हुई है।

रिपोर्ट – लाल चंद, संवाददाता लखनऊ

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