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कुछ लोग 8,000 करोड़ के जहाज में चढ़कर नौटंकी कर सकते हैं, लेकिन गन्ने और खाद का दाम नहीं दे सकते: प्रियंका गांधी

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यूपी:

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हारीमऊ की जनसभा में प्रियंका गांधी का संबोधन–

मैं 13 साल की थी जब पिता जी के साथ यहीं एक गांव में रहते थे। पिता जी की जीप पर बैठकर गांव-गांव जाते थे, आपकी समस्याओं को समझते थे। कुछ ही दिनों में मैं 50 साल की होने वाली हूं। बहुत पुराना रिश्ता है। आपने निभाया, हमने निभाया। यहां आकर हमेशा कहती थी कि राजनीतिक नहीं पारिवारिक रिश्ता है। जज्बात का रिश्ता है। आपसे कोई शिकायत नहीं है। कभी-कभी परिस्थितियां बनती हैं कि चाहे जितना कोई समझाए, सच्चाई छिप जाती है। ऐसी परिस्थितियां बनी। इससे आप भी सीखे, हमने भी सीखा। आपने संदेश दिया जिसे हमने स्वीकार किया। आज अगर हम यहां खड़े हैं तो इसलिए कि कोई भी परिस्थिति आये आपके और हमारे बीच का रिश्ता कभी टूट नहीं पाएगा।

पिछले चुनाव में यहां एक झूठ का जाल फैलाया गया। इसे उन्होंने फैलाया जो देश भर में साढ़े सात सालों से झूठ फैला रहे हैं। बीते ढाई साल की बात करें। कोरोना आया, अचानक लाकडाउन हुआ। अमेठी के लोग देश भर में अलग-अलग फंसे थे। तब हम लोग रात दिन अमेठी और रायबरेली के लोगों से फोन के जरिये जुड़े थे। सब रो के कह रहे थे कि बस हमें घर तक पहुंचा दो। तब कहां थी बीजेपी, कहां थी सांसद…? जब कांग्रेस ने कहा कि बस हम देंगे तो उसे ठुकरा दिया गया।

कोरोना की दूसरी लहर में छत्तीसगढ़ से हम आक्सीजन के ट्रक भेज रहे थे, लेकिन नहीं आने दिया। हमने कहा कि कांग्रेस श्रेय भी नहीं लेगी, बैनर भी नहीं लगायेंगे। बड़ी मुश्किल से रायबरेली सिलेंडर आ पाये।

आज किसान को गेहूं, गन्ना का दाम नहीं, खाद नहीं मिलती, आवारा पशु की समस्या है…कोई आ रहा है इन मुद्दों पर सरकार की ओर से?

लखीमपुर में किसानों को कुचल कर मारा गया। उसे कौन मंच पर खड़ा करता है, किसे बरखास्त नहीं किया…? रायबरेली और अमेठी के लोगों में बहुत विवेक है। वे सच्चाई जानते हैं। हजार का सिलेंडर है गैस का, सरसों का तेल दो सौ का मिल रहा है…क्या ऐसी निर्मम सरकार चाहिए? क्या ऐसा प्रधानमंत्री चाहिए जो आपकी समस्या नहीं हल कर सकते लेकिन आठ हजार करो़ड़ के जहाज में उड़कर बनारस में नौटंकी करने आ सकते हैं।

सबकी आस्था होती है, पर सब दिखावा नहीं करते। चुनाव में सिर्फ धर्म और जाति के बाद। बताइये कि सात साल में आपने क्या किया..? अमेठी में बीएचईएल, एचएएल जैसी तमाम चीजें लगीं, बंद किसने किया, रायबरेली में एम्स किसने खोला…बंद कौन करा रहा है? सच्चाई आप देख रहे हैं। कौन संघर्ष कर रहा है…मुझे नहीं लगता कि मोदी जी के लोग संघर्ष कर रहे हैं। कांग्रेस की बनाई तमाम कंपनियों को मोदी जी अपने बड़े-बड़े दोस्तों को बेच रहे हैं।

कल निषादों को बुलाकर आरक्षण की बात नहीं की। इनकी सरकार में तरक्की सिर्फ उनके उद्योगपति मित्रों को हुआ है, वही फल-फूल रहे हैं। आप त्रस्त हैं। मैं आपसे आग्रह कर रही हूं कि इन्हें बदल डालिए।

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