Advertisement

यूपी पर्यटन विभाग की पहल, ऐतिहासि​क इमारतों और किलों में खुलेंगे होटल और म्यूजियम

Share
Advertisement

उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग प्रदेश में हेरिटेज पर्यटन और डेस्टिनेशन वेडिंग को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के किलों, पुराने महल व हवेलियों को हेरिटेज होटल और म्यूजियम के रूप में विकसित करेगी। उन्होंने बताया कि इसमें निजी क्षेत्र के निवेश से विरासत संपत्तियों को मूल गौरव के साथ पुनर्स्थापित कर पर्यटकों को आकर्षित किया जाएगा। साथ ही पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों का भी सृजन होगा।

Advertisement

पर्यटन विभाग की इस महत्वपूर्ण पहल का उद्देश्य राज्य की समृद्ध ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित, पुनर्स्थापित तथा पर्यटन को तेजी से बढ़ावा देना है। इस पहल के माध्यम से विभाग पब्लिक-प्राइवेट साझेदारी (पीपीपी) के आधार पर प्रदेश की नौ प्राचीन धरोहर के उपयुक्त पुनर्उपयोग के लिए प्रस्तावों का आमंत्रित किया है और भविष्य में इस परियोजना के तहत और भी संपत्तियों को शामिल करने की योजना बना रहा है।

पर्यटन मंत्री ने बताया कि इन प्राचीन धरोहर संपत्तियों में लखनऊ के कोठी गुलिस्तान-ए-इराम, कोठी दर्शन विलास, कोठी रोशन-उद-दौला और छतर मंजिल शामिल हैं। उन्होंने बताया कि कानपुर देहात का बारादरी शुक्ला तालाब, कानपुर शहर का टिकैत राय बारादरी, जल महल बरसाना और झांसी का बरुआ सागर किला, मिर्जापुर का चुनार किला शामिल हैं। यहां लीज पर लेने के बाद होटल एंड रिसार्ट, म्यूजियम, रेस्टरां और बैंक्वेट, शिल्पग्राम, कल्चरल सेंटर, ऐग्जिबिशन सेंटर और वेडिंग डेस्टिनेशन आदि बना सकते हैं।

पर्यटन मंत्री ने बताया कि इन विरासत धरोहरो में रुचि रखने वाली पार्टियों के लिए प्रीबीड बोली का आयोजन 4 अक्टूबर, 2023 को निर्धारित है। इन विरासत संपत्तियों को 90 साल की अवधि के लिए दीर्घकालिक पट्टे (लीस) पर पेश किया जाएगा, जो हर 30 साल की अवधि के बाद पुनर्मूल्यांकन के अधीन होगा। उन्होंने बताया कि संपत्तियों को होटल, संग्रहालय, रेस्तरां और भोज, शिल्पग्राम, सांस्कृतिक केंद्र, प्रदर्शनी केंद्र, विवाह स्थल आदि सहित विभिन्न अनुकूली पुन: उपयोग के लिए पट्टे पर दिया जा सकता है।

पर्यटन मंत्री ने बताया कि संभावित साझेदारों की विस्तृत श्रृंखला के लिए पहुंच को बढ़ावा देने के लिए विभाग को पट्टेदारों से अग्रिम प्रीमियम की आवश्यकता नहीं होगी। उन्होंने बताया कि पट्टेदार संपत्ति के सकल राजस्व के 1 प्रतिशत के बराबर रियायती शुल्क के लिए जिम्मेदार होंगे। एक कठोर गुणवत्ता एंड कॉस्ट बेस्ड सेलेक्शन चयन प्रक्रिया अपनाई जाएगी, जिसमें तकनीकी सहायता को 80 प्रतिशत और वित्तीय प्रस्ताव को 20 प्रतिशत महत्व दिया जाएगा, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सबसे उपयुक्त भागीदारों का चयन किया गया है।

जयवीर सिंह ने कहा हमारा उद्देश्य उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को दुनिया के सामने प्रदर्शित करना है। इस उद्यम में निजी भागीदारों का स्वागत करके, हम सभी के लिए उत्तम स्थिति बनाने की उम्मीद करते हैं, जहां इन विरासत स्थलों को उनके पूर्व गौरव पर बहाल किया जाएगा, और पर्यटन फले-फूलेगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान में, उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग अनुभवात्मक और गंतव्य-आधारित पर्यटन को और व्यापक बनाने के लिए प्रयासरत है।’ इस अभूतपूर्व पहल से उत्तर प्रदेश राज्य पर कई मायनों में दूरगामी सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। महत्वपूर्ण रूप से, यह पहल समय के साथ खराब हो रही ऐतिहासिक संपत्तियों के निरंतर रखरखाव, रख-रखाव और बहाली को सुनिश्चित करेगी। यह विरासत संरक्षण और आर्थिक विकास के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *