मुजफ्फरनगर पहुंचे सीएम धामी, रामपुर तिराहा कांड के शहीदों को दी श्रद्धांजलि
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज यानी सोमवार (2 अक्टूबर) को उत्तर प्रदेश के जनपद मुजफ्फरनगर पहुंचे। यहां सीएम धामी ने उत्तराखंड के शहीदी स्मारक पर रामपुर तिराहा कांड में शहीद हुए उत्तराखंड के आंदोलनकारियों की 29वीं बरसी पर पुष्पांजलि अर्पित की।
सीएम ने गांधी व शास्त्री को की पुष्पांजलि अर्पित
इस दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ मुजफ्फरनगर के सांसद व केंद्रीय पशुपालन डेयरी एवं मत्स्य राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान मौजूद रहे। उनके अलावा यूपी सरकार में व्यवसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग के स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल सहित उत्तराखंड और मुजफ्फरनगर के भाजपा नेता एवं कार्यकर्ता भी मौजूद रहे। सीएम धामी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के चित्र के सम्मुख पुष्पांजलि एवं दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
आन्दोलनकारियों के संघर्ष से हमें नया राज्य मिला – सीएम धामी
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तराखंड राज्य आन्दोलनकारियों के संघर्ष के परिणामस्वरूप ही हमें नया राज्य मिला। शहीद राज्य आन्दोलनकारियों के सपने के अनुरूप राज्य का विकास हो, इसके लिए सरकार प्रयासरत है। उत्तराखंड के समग्र विकास के लिए राज्य सरकार कृतसंकल्प है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड को देश का आदर्श राज्य बनाने के लिए हम सभी को एकजुट होकर कार्य करना है, जिससे कि राज्य आन्दोलन के शहीदों के सपनों के अनुरूप प्रदेश का चहुंमुखी विकास किया जा सके। सीएम ने कहा कि राज्य सरकार राज्य आन्दोलनकारियों के कल्याण के लिए वचन बद्ध है।
क्या है रामपुर तिराहा कांड?
गौरतलब है कि 1 व 2 अक्टूबर 1994 की रात्रि में उत्तराखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी देहरादून से शांतिपूर्वक तरीके से दिल्ली में प्रदर्शन करने के लिए जा रहे थे। जैसे ही यह आंदोलनकारी मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा पर पहुंचे तो उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव सरकार के अधिकारियों ने आंदोलनकारियों को रामपुर तिराहे पर जबरन रोका था।
महिलाओं के साथ हुई थी अभद्रता
उस काली रात को आज भी जो आंदोलनकारी याद करता है तो सिहर उठता है क्योंकि उस रात जो रामपुर तिराहा पर हुआ था, वह मंजर वाकई में भयावह था। उस समय निहत्थे आंदोलनकारियों के साथ पुलिस ने बर्बरता की और गोलियां भी बरसाई थी। बताया जाता है कि पुलिस ने महिलाओं आंदोलनकारियों के साथ अभद्र व्यवहार भी किया था।
(मुजफ्फरनगर से अरविंद चौधरी की रिपोर्ट)
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