देश को दुनिया का टेक्सटाइल हब बनाने में यूपी की होगी महत्वपूर्ण भूमिका

लखनऊ: केंद्र सरकार की मंशा है कि आने वाले कुछ वर्षों में भारत ग्लोबल टेक्सटाइल का हब बने। इसके लिए उसने महत्वाकांक्षी लक्ष्य भी रखा है। मसलन केंद्र की मंशा 2030 तक 100 अरब डॉलर (लगभग 8250 अरब रुपये) का वस्त्र निर्यात का है। इधर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भी प्रदेश में वस्त्र उद्योग की बेहद संपन्न एवं शानदार विरासत के मद्देजर यूपी को देश के टेक्सटाइल इंडस्ट्री का हब बनाने को प्रतिबद्ध है।
डबल इंजन की सरकार की प्रतिबद्धता के नाते इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए पहल भी हो चुकी है। प्रधानमंत्री मेगा एकीकृत वस्त्र एवं परिधान (पीएम मित्र) योजना के अंतर्गत लखनऊ-हरदोई में एक हजार एकड़ में टेक्सटाइल पार्क की स्थापना की घोषणा और घोषणा के चंद दिनों के भीतर ही यहां लोकभवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय वाणिज्य, उद्योग एवं कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री विक्रम जरदोश की मौजूदगी में हुआ एमओयू इसका प्रमाण है।
उल्लेखनीय है कि वस्त्र उद्योग की बेहद सम्पन्न परंपरा के अनुसार योगी सरकार की मंशा उत्तर प्रदेश को वस्त्र उद्योग ( टेक्सटाइल इंडस्ट्री) के क्षेत्र में देश का हब बनाने की है। इस क्षेत्र में अब तक किए गए प्रयास और पॉलिसी मैटर के जो प्रस्ताव पाइपलाइन में हैं। उन्होंने इस सेक्टर के निवेशकों को इस ओर आकर्षित किया है।
जीबीसी में मिले थे 5642 करोड़ रुपये के 46 निवेश प्रस्ताव
यही वजह है कि कुछ महीने पहले राजधानी लखनऊ में सम्पन्न ग्राउंड ब्रेकिंग सरमोनी जीबीसी-3 के दौरान इस सेक्टर के लिए कुल 46 प्रस्ताव मिले। इन प्रस्तावों के जरिए इस सेक्टर में कुल 5642 करोड़ रुपये करोड़ रुपये का निवेश होगा। यह जीबीसी-3 में 80224 करोड़ रुपये के प्रस्तावों का सात फीसद है। इन निवेश से प्रदेश के कई जिले आच्छादित होंगे। इन जिलों में लाखों लोंगों को रोजगार भी मिलेगा।
संभावनाओं का क्षेत्र है वस्त्र उद्योग
वस्त्र उद्योग संभावनाओं का क्षेत्र है। इन्वेस्ट इंडिया की रिपोर्ट (जुलाई-2020) के मुताबिक इस सेक्टर में प्रति एक करोड़ के निवेश पर औसतन 70 लोगों को रोजगार मिलता है। भाजपा ने अपने लोककल्याण संकल्पपत्र-2022 में हर परिवार एक रोजगार का लक्ष्य रखा है। संकल्पपत्र में उत्तर प्रदेश को देश का “टेक्सटाइल हब” बनाने के प्रति प्रतिबद्धता जताई गई है।
पांच साल में 7500 करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य
इस लक्ष्य को हासिल करने के मद्देनजर इस क्षेत्र की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। इसीलिए हथकरघा एवं वस्त्र उद्योग विभाग ने पांच साल में पांच लाख रोजगार के अवसर मुहैया कराने के लिए 7500 करोड़ के निवेश का लक्ष्य रखा है। मुख्यमंत्री की मंशा के अनुसार उत्तर प्रदेश में देश का टेक्सटाइल हब बनने की पूरी संभावना है। इसकी कई वजहें हैं। मसलन देश की सबसे अधिक आबादी होने के नाते तैयार माल के लिए बाजार और काम करने के भरपूर मानवसंसाधन हैं।
कच्चा माल लाने और तैयार माल को मांग के अनुसार दूसरे प्रदेशों में भेजने के लिए एक्सप्रेसवे एवं एयरपोर्टस के निर्माण के कारण बेहतर कनेक्टिविटी की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका होगी। गंगा एक्सप्रेसवे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे, अयोध्या एवं जेवर में निर्माणाधीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट बन जाने के बाद यूपी की देश एवं दुनिया से कनेक्टिविटी और भी शानदार हो जाएगी। इस सबका लाभ संबंधित क्षेत्र में उद्योग लगाने वाले उद्यमियों को मिलेगा।
टेक्सटाइल के क्षेत्र में है प्रदेश की बेहद सम्पन्न परंपरा
प्रदेश में वस्त्र उद्योग की बेहद संपन्न परंपरा के नाते दक्ष श्रमिकों की भी कोई कमीं नहीं है। जरूत समय के अनुसार प्रशिक्षण देकर उनका हुनर निखारने की है। वाराणसी की रेशमी साड़ियां, भदोही का हाथ से बना कालीन, लखनऊ की चिकनकारी, बरेली की जरी जरदोजी, नोएडा के रेडीमेड गारमेंट्स की देश-दुनिया में अपनी पहचान है। प्रदेश के 34 जिले हथकरघा बाहुल्य हैं। हथकरघों, हथकरघा बुनकरों और बुनकर सहकारी समितियों की संख्या क्रमशः 1.91 लाख, 0.80 लाख और 20421 है।
इसी तरह मऊ, अम्बेडकर नगर,वाराणसी, मेरठ, कानपुर, झांसी, इटावा, संतकबीरनगर आदि जिले पॉवरलूम बहुल हैं। पॉवरलूम एवं इन पर काम करने वाले बुनकरों एवं पॉवरलूमों की संख्या क्रमशः 2.58 5.50 लाख है। ये आंकड़े और उत्पाद हमारी सम्पन्न परंपरा के सबूत हैं।
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