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आरती में सम्मिलित हो प्रसाद ग्रहण करते हैं चमगादड़, भक्ति देखकर लोग दबा रहे दांतों तले उंगली

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UP: चमगादड़ जिसकी याद आते ही दिल में खौफ पैदा हो जाता है , एक डरावनी आकृति का अहसास और डर महसूस होने लगता है .वास्तव में इनकी एक अलग दुनिया होती है और ऐसी ही एक दुनिया में हम आपको लेकर चलते है .जहाँ हजारो सालो से एक प्राचीन माँ चौरा देवी मंदिर की चाल दिवाली को लाखो चमगादडो ने अपना घर बना रखा है तो सोचिये कितना डरावना होगा इस मंदिर का मौहाल पर नही शायद यह चमगादड़ देवी माँ के भक्त है जो ना सिर्फ माँ की आरती में सामिल होते है बल्कि उनका प्रसाद भी ग्रहण करते है जिनकी देवी माँ की भक्ति देख कर लोग दांतों तले अंगुली दवाने को मजबूर हो जाते।

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हमीरपुर जिला मुख्यालय के प्राचीन माँ चौरा देवी मंदिर के भक्त अब आम लोगो के साथ यहां हजारों की संख्या में रहने वाले चमगादड़ भी बन गए है करीब 160 साल पहले यमुना और बेतवा नदियों के बीच के इस स्थान पर कभी घना जंगल था कुछ चरवाहों ने एक पीपल के पेड़ के ताने से एक मूर्ति खोजी थी जो ग्रेनाइट पत्थर से बनी अद्भुत कला कृतियाँ से युक्त है यही पास स्थित बरगद के पेड़ों में हजारो बडे चमगादड़ ने अपना डेरा जमा रखा था जो आज भी यहां स्थित पेड़ो में लटके देखे जा सकते है .इनकी आवाज और लटकने का तरीका बेहद डरावना है.सुबह और शाम में होने वाली माँ चौरा देवी की आरती के साथ बजने वाली घंटियों के साथ इस चमगाददो का अपना अलग नाता है .मंदिर में माँ की आरती के समय में यह चमगादड़ हजारो की संख्या में घंटो की आवाज के साथ ही उड़ने लगते है ,मंदिर के ऊपर परिक्रमा लगाते है ,शोर मचाते है और फिर आरती के बाद मंदिर के पुजारी थोड़ा प्रसाद बाहर पेड़ो के पास डाल देते है जिन्हें चमगादड़ खाते है और यमुना नदी का पानी पीकर वापस अपने पेड़ में चले जाते है ……

माँ चौरा देवी के दर्शन के साथ चमगादडो के दर्शन भी है जरूरी

कहते है कि जहाँ चमगाददो का वास होता है वहां वीरानी ही रहती है और यह अँधेरे में ठंडी गुफाओ में रहते है पर यहाँ ऐसा नही है .आसमानी डर के नाम से पुकारे जाने वाले इन चमगादड़ओ को यहां हर मौसम में भीषण गर्मी और सर्दी में इन्ही पेड़ो में लटका देखा जा सकता है कुछ श्रद्धालु इन्हें माता के रक्षक मानते है और कुछ लोग इन्हें अच्छी आत्माए भी मानते है जो माँ की भक्ति में लीन हो कर माँ की पूजा करने के लिए ही आरती में शामिल होते है और कहा यह भी जाता है कि माँ चौरादेवी के दरबार में हर मुराद पूरी होती है अगर माँ के दर्शन के बाद इन चमगादड़ो के भी दर्शन किये जाये तो !

अंधेरे और गुफाओं में रहने वाले चमगादड बने है पहेली

पर्यावरण विद और जीव विज्ञानी जलीस खान की माने तो विज्ञान के अनुसार यह उल्टे लटकने वाले स्तन पायी रात्रि चर प्राणी है जो आम लोगो मे डर तो पैदा करते है पर विज्ञान के अनुसार ये प्र्श्रव्य (अल्ट्रा सोनिक ) तरंगो को उत्सर्जित करते है .ये राडार की तरह तरंगे पकड़ कर दुश्मनों या भोजन का पता लगा लेते है .ज्यादातर ठंडी जगहों पर या अँधेरी गुफाओ ,खंडहरों पर रहने वाले इन चमगादड़ओ की यहां के पेड़ पर लाखो की संख्या में मौजूदगी चौकाने वाली है और इन्होने भोजन पाने के लिए ही अपने आप को इस तरह विकसित कर लिया है कि घंटो की धुन के साथ ही यह इस स्थान में पहुच जाते है वो भी दिन में और वो खुद इसे एक माँ के चमत्कार के रूप में देखते है …

एक जनश्रुत्री के अनुसार हजारो वर्ष पहले इस स्थान पर चमगादड़ओ के देवता की मौत हुई थी उन्हें यही दफनाया गया था .तब से मंदिर के आस पास ही ये घूमते और मडराते है .करीब ही यमुना नदी का जल पीकर वे अक्सर मंदिर की चौखट तक आ जाते है .उसी समाधि की सुरक्षा और श्रधा के चलते चमगादड़ओ ने लाखो की संख्या में यह अपना डेरा जमा लिया है .अब ये बात कितनी सही है कहा नही जा सकता पर हाँ इतना जरुर है कि सैकडो साल पुराने इन बरगद के विशाल पेडो पर लटक रहे चमगादड़ओ का इस मंदिर में विराज मान माँ चौरा देवी से जरुर कोई रिश्ता है जिसके चलते इनकी भक्ति को देखने को यहां बहुत दूर दूर से श्रद्धालु आते है l

रिपोर्ट- आनन्द अवस्थी, हमीरपुर, उत्तरप्रदेश

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