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बिहार में ही नहीं बल्कि इन राज्यों में भी होती है छठ महापर्व की धूम

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Chhath Puja 2023: आस्था का प्रतीक छठ महापर्व बिहार सहित पूरे देश में हर्ष उल्लास  के साथ मनाया जाता है। महापर्व छठ 17 नवंबर से शुरू हो जाएगा। छठ पर्व बिहार के लोगों के दिलों में धड़कन की तरह बसता है। बिहार में छठी मईया का त्यौहार बड़ी तादात में मनाई जाती है। बता दें छठ पर्व सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं रह गया। बल्कि कई राज्यों में पूरे जोश के साथ सेलिब्रेट किया जाता है

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इन राज्यों में भी छठ महापर्व की धूम

यूपी, झारखंड, पटना समेत कई राज्यों में छठ की छठा ही निराली होती है. साथ ही तालाबों और नदियों के घाट दुल्हन की तरह सजाए जाते हैं और सुबह-शाम यानी सूर्योदय और सूर्यास्त के समय का नजारा ही गजब का होता है. छठ पूजा करीब चार दिनों तक चलती है. इस बार 17 नवंबर  को नहाय खाय के साथ छठ पर्व की शुरुआत हो जाएगी और 20 नवंबर दिन सोमवार को छठ का समापन हो जाएगा.

छठ पर्व क्यों मनाते है

हिन्दू धर्म के कई पौराणिक कथाओं मे छठ महापर्व का जिक्र हुआ है। वहीं राधाकांत शास्त्री की माने तो छठ महापर्व की शुरुआत सतयुग से हुई. ऐसी मानयता है कि राजा मनु के पुत्र राजा प्रियवर्त को संतान नहीं था. ऐसे में उन्होंने ऋषि कश्यप के निर्देशानुसार हवन पूजन किया. इसके बाद उन्हें एक संतान हुआ. शरीर से सुडौल और सुंदर होने के बाद भी शिशु मृत था. जिससे प्रियवर्त घोर निराशा से भर गए और मां भगवती का स्मरण करने लगे. इसी दौरान मां कात्यायनी ने उन्हें दर्शन देकर उनके पुत्र को जिंदा कर दिया. ब्रह्मपुराण और ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार वह तिथि शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि थी.

जानें कैसे मनाते है छठ पर्व

कहा जाता है कि छठ पूजा के समय भगवान सूर्य और छठी मैया से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए महिलाएं 36 घंटे तक उपवास रखती हैं. बता दें कि छठ के पहले दिन को नहाय खाय कहा जाता है. छठी मईया के भक्त गंगा नदी जैसे पवित्र जल में स्नान करते हैं। साथ ही  छठ का पालन करने वाली महिलाएं निर्जला व्रत रखकर भक्त भगवान सूर्य के लिए प्रसाद तैयार करते हैं. दूसरे और तीसरे दिन को खरना और छठ पूजा कहा जाता है. इसके साथ ही चौथे दिन महिलाएं पानी में खड़े होकर उगते सूरज को अर्घ्य देती हैं और फिर अपना 36 घंटे का उपवास तोड़ती हैं.

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