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उज्जैन के श्री त्रिविष्टपेश्वर महादेव मंदिर की  महिमा, मान्यता है कि दर्शन मात्र से मिलता है स्वर्ग

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उज्जैन का प्रमुख हिंदु मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। हिंदू तीर्थ स्थलों में उज्जैन का भी अपना अहम स्थान है। यहां एक ऐसा दिव्य शिवलिंग है जिनके दर्शन करने से पुण्य लाभ होता है। प्रदोष पर उज्जैन के श्री त्रिविष्टपेश्वर महादेव के पूजन-अर्चन का अपना विशेष विधान है। श्री त्रिविष्टपेश्वर महादेव को 84 महादेवों में 7वां स्थान है। बताया जाता है कि इसके दर्शन मात्र से स्वर्ग में स्थान हासिल होता है।

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श्री त्रिविष्टपेश्वर महादेव को दिव्य और चमत्कारी शिवलिंग माना जाता है। बता दें कि विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के प्रांगण में ओंकारेश्वर मंदिर के पीछे एक गुफा में स्थित है। मंदिर के पुजारी पंडित लोकेंद्र व्यास ने बताया कि मंदिर में भगवान शिव की 8 इंच की काले पाषाण की प्रतिमा है, जो अत्यंत चमत्कारी है।

मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा के साथ ही माता पार्वती, श्रीगणेश, कार्तिकेय स्वामी के साथ नंदी की प्रतिमा भी अत्यंत प्राचीन है। यह एक ऐसा शिव मंदिर है जिसके प्रवेश द्वार पर भगवान शिव और हाथी की प्रतिमाएं बनी हुई हैं। पुजारी पंडित लोकेंद्र व्यास के मुताबिक श्री महाकालेश्वर मंदिर में स्थित श्री त्रिविष्टपेश्वर महादेव की रोजाना अभिषेक, पूजन, आरती की जाती है। मंदिर में साल भर सभी त्योहार बड़े धूमधाम से मनाये जाते हैं। लेकिन प्रदोष पर्व पर श्री त्रिविष्टपेश्वर महादेव में कुछ अलग नजारा दिखता है।

स्कंद पुराण के अवंतीखंड में श्री त्रिविष्टपेश्वर महादेव की कथा का वर्णन है। जिसमें बताया गया है कि धार्मिक नगरी उज्जैन कभी स्वर्ग से भी निराली थी। यहां दान, पुण्य और पूजन-अर्चन करने से सभी तीर्थ यात्रा से अधिक फल की प्राप्ति होती थी।

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