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चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मैहर पहुंचे CM मोहन यादव, मां शारदा के किए दर्शन, जानिए इस मंदिर का इतिहास

CM Mohan Yadav

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CM Mohan Yadav: देशभर में लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां है। मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार प्रसार में लगे हुए है। व्यस्तता के बीच डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मैहर स्थित मां शारदा मंदिर में दर्शन पूजा-अर्चना किया। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रदेश और देशवासियों के सुखी, स्वस्थ और समृद्ध होने की कामना है।

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CM Mohan Yadav ने नव संवत्सर की दी बधाई

मैहर रवाना होने से पहले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 2081 पिंगल नव संवत्सर की बधाई दी। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए बधाई दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘शक्ति का यह पर्व है, नवरात्रि के पावन पर्व पर हम सब कामना करें। विक्रम संवत का आज का दिन, नए वर्ष का पहला दिन हम सभी के जीवन में मंगल ही मंगल करे, ऐसी मैं कामना करता हूं….’

CM Mohan Yadav ने मां शारदा के किए दर्शन

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने चैत्र नवरात्रि के पहले दिन सुबह 11:30 बजे त्रिकूट पर्वत पर स्थित मां शारदा की पूजा-अर्चना की। वहां मौजूद पंडितों ने मां का शृंगार किया। मंत्रोच्चार के साथ माता जी को नया वस्त्र धारण कराया। मुख्यमंत्री यादव ने विश्व कल्याण के लिए मां शारदा से प्रार्थना की। मां शारदा देवी के दर्शन कर आशीर्वाद लिया।

विंध्य पर्वत के श्रेणी में है ये मंदिर

सतना जिले के मैहर में स्थित मां शारदा का मंदिर विंध्य पर्वत की श्रेणियों के बीच त्रिकुट पर्वत पर स्थिति है। ऐसी मान्यता है कि यहां मां शारदा की सबसे पहले पूजा आदि गुरू शंकराचार्य ने की थी। विध्य के त्रिकुट पर्वक का उलल्लेख पुराणों में भी मिलता है। नवरात्रि के समय में हर दिन यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर में श्रद्धालुओं को 1052 सीढ़ी चढ़कर जाना पड़ता है।

मैहर में गिरा था मां सती का हार

ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में मां सती का हार गिरा था, जिसकी वजह से इस जगह का नाम माई का हार पड़ गया। लेकिन अपभ्रंश होकर इसका नाम मैहर हो गया। मां सती का हार गिरने की वजह से इस अंग को मैहर के नाम से जाना जाता है।

जानिए किसने की थी मंदिर की खोज

त्रिकुट की पहाड़ी पर स्थित मां शारदा के मंदिर की खोज आल्हा उदल के नायक दो सगे भाई ने की थी। कहा जाता है कि आल्हा और उदल मां शारदा के अनन्य भक्त थें, इन्होंने जंगलों के बीच त्रिकुट पर्वत की चोटी पर इस मंदिर को ढूंढ़ निकाले थें. वर्तमान में यह मंदिर आस्था का केंद्र बन चुका है. अब यहां देश-विदेश के कोने-कोने से मां के दर्शन के लिए आते हैं।

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