Lucknow: 50 फीसद अनुदान पर 30 हजार क्विंटल ढैचा बीज मुहैया कराएगी योगी सरकार

Lucknow: हरी खाद भूमि के लिए संजीवनी साबित हो रही है। पिछले दो दशकों के दौरान किसान हरी खाद (ढैचा, सनई, उड़द एवं मूंग) की उपयोगिता को लेकर जागरूक हुए हैं। लिहाजा इनके बीजों की मांग भी बढ़ी है। प्राकृतिक एवं जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार भी भूमि में कार्बनिक तत्वों को बढ़ाने के लिए हरी खाद को प्रोत्साहित कर रही है। इन सबमें हरी खाद के लिहाज से सबसे उपयोगी ढैचा ही है। यही वजह है कि सरकार खरीफ के सीजन में प्रदेश के किसानों 50 फीसद अनुदान पर 30 हजार कुंतल ढैंचा बीज उपलब्ध कराएगी।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल भी ढैचे के बीज पर ही इतना ही अनुदान था। तब प्रति कुंतल दाम 54.65 पैसे निर्धारित किया गया था। उम्मीद है कि इस साल भी दाम लगभग पिछले साल के ही आसपास रहेंगे। जिन प्रगतिशील किसानों को यह डिमांस्ट्रेशन के बाबत दिये गये थे उनको 90 फीसद अनुदान देय था।
उर्वरता के साथ भूमि की जलधारणा, वायुसंचरण व लाभकारी जीवाणुओं में होती है वृद्धि
उप निदेशक कृषि जयप्रकाश के अनुसार सनई एवं ढैचा जैसी फसलों की जड़ों में ऐसे जीवाणु होते हैं जो हवा से नाइट्रोजन लेकर मिट्टी में स्थिर कर देते हैं। इसका लाभ अगली फसल को मिलता है। उनके मुताबिक कार्बनिक तत्व मिट्टी की आत्मा होते हैं। भूमि में ऑर्गेनिक रूप से इसे बढ़ाने का सबसे आसान एवं असरदार तरीका है हरी खाद। कार्बनिक तत्वों की उपलब्धता खुद में सभी फसलों की उत्पादकता बढ़ाने में सहायक होती है। साथ ही यह रासायनिक खादों के लिए भी उत्प्रेरक का काम कर उसकी क्षमता को बढ़ाती है। अगली फसल में खर-पतवारों का प्रकोप भी कम हो जाता है। इससे उर्वरता के अलावा संबंधित भूमि में जलधारणा, वायुसंचरण व लाभकारी जीवाणुओं में वृद्धि होती है। लगातार फसल चक्र में इसे स्थान देने से क्रमशः भूमि की भौतिक संरचना बदल जाती है।
लखनऊ से लालचंद की रिपोर्ट
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