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Jharkhand: सुचित्रा मिश्रा हत्याकांड एक बार फिर चर्चा में, शशिभूषण मेहता समेत 6 को HighCourt का नोटिस

Jharkhand: सुचित्रा मिश्रा हत्याकांड एकबार फिर चर्चा में

Jharkhand: सुचित्रा मिश्रा हत्याकांड एकबार फिर चर्चा में

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Jharkhand: झारखंड में आदिवासियों के ख़िलाफ़ मुक़दमे का मामला होना कोई नई बात नहीं है। बिहार से कट कर झारखंड अलग राज्य बनने के बाद अब तक पांच जजों के सहयोगियों में सजा के कारण अब तक जेल में डाल दिया गया है। दल बदल कानून के अधीन एक नेता को अपनी संस्था गंवानी पद दिया गया। यूथ पर तलवारें लटक रही हैं। शहर के ऑक्सफ़ोर्ड पब्लिक स्कूल (Oxford Public School) की शिक्षिकाओं सुचित्रा मिश्रा (Suchitra Mishra) हत्याकांड की फ़ाइल को खोले जाने के बाद फिर से खोल दिया गया है। कैदी अदालत में इस मामले के सभी आरोपी बरी हो गए थे। बरी होने वाले लोगों में स्कूल के निदेशक और अभी पांकी के सहायक शशिभूषण मेहता समेत छह लोगों को झारखंड हाई कोर्ट ने फिर से नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। मुक़दमेबाज़ अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय 29 नवंबर को अगली सुनवाई।

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Jharkhand: सुचित्रा मिश्रा हत्याकांड की कहानी क्या है?

सुचित्रा मिश्रा राँची के प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल की शिक्षिकाएँ थीं। उनकी हत्या गाड़ी से कुचल कर 11 मई 2012 को कर दिया गया था। हत्याकांड में जेलर कोर्ट ने 20 दिसंबर 2019 को फैसला सुनाया, जिसमें सभी चार लोगों का रेहड़ी कर दिया गया था। हत्या का आरोप स्कूल के निदेशक शशि एलेशिएथ मेहता, राजनाथ सिंह, प्रदीप कुमार पैसेंजर, डोमिनिक कुमार ठाकुर और सत्य प्रकाश पर लगा था। सुचित्रा के भाई गोविंद पादरी ने अदालत में अपील के खिलाफ फैसला सुनाया। उनकी अपील पर कोर्ट ने सभी चार लोगों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। इस मामले में पहले भी सभी को नोटिस जारी किया गया था, लेकिन किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। दूसरी बार उन्हें नोटिस भेजा गया है।

22 साल में 6 विधायकों की गई सदस्यता

झारखंड के बनने के बाद अब तक छह विधायकों को अलग-अलग मामलों में सजा होने के बाद अपना-अपना पद सौंपा गया है। अगर सुचित्रा मिश्रा हत्याकांड में भी सजा हुई तो शशिभूषण मूर्ति की नियुक्ति हो सकती है। जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 कलाकारों को चुनाव लड़ने से रोका जाता है। ऐसे व्यक्ति जिन पर केवल मुकदमा चल रहा है, वे चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र हैं, उन पर आरोप भी बहुत गंभीर हैं। लेकिन सजा तो होती ही है वे चुनाव से मुकाबले में हो जाते हैं। संवैधानिक अधिनियम की धारा 8 (1) और (2) के अनुसार यदि किसी सदस्य पर (सांसद या नेता) हत्या, बलात्कार, अस्पृश्यता, विदेशी मुद्रा मित्रता का उल्लंघन, धर्म, भाषा या क्षेत्र के आधार पर शत्रुता का जन्म होता है, भारतीय संविधान का अपमान करना, गैरकानूनी कब्जे का आरोप लगाना या देशद्रोही बनाना, आपराधिक कृत्य में शामिल होना जैसे अपराध में दोषी साबित होता है तो उसे इस धारा के तहत प्रतिबंधित माना जाएगा। उसे छह वर्ष की अवधि के लिए पदच्युत घोषित कर दिया जाएगा।

किन विधायकों को सदस्यता गंवानी पड़ी है

साल 2022 में कांग्रेस की नेता ममता देवी की सदस्यता रद्द हो गई थी। आईपीएल गोलीकांड में ममता देवी पाई गईं। उन्हें कोर्ट ने पांच साल की सजा सुनाई थी। वर्ष 2022 में ही झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर चुनाव जीतने वाले बंधन तिर्की के पद पर आसीन हुए थे। उन पर दल परिवर्तन का आरोप था. जेवीएम के टिकट पर जीत कर क्षेत्र में बंधुआ तिर्की ने कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व कर ली थी।। वर्ष 2018 में झारखंड सिल्ली के विधायक अमित मठ के रेस्तरां के एक मामले में सजा के बाद चलायी गयी थी। उसी साल झारखंड पार्टी के एनोस एक्का के संयोजक को भी पद से हटा दिया गया था. उन पर 2014 में एक मामला दर्ज हुआ था। 2018 में कोर्ट ने उन्हें सजा सुनाई। झारखंड में 22 साल में जिन लोगों के अध्यक्ष बने, उनमें कांग्रेस के दो, झारखंड मुक्ति मोर्चा के दो, आजसू के एक-एक नेता शामिल हैं। 2015 में लोहरदगा से आजसू के विधायक कमल किशोर भगत को भी पद से हटा दिया गया था।

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