“उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा न दिया होता तो…” SC की संविधान पीठ की टिप्पणी
शिवसेना से बगावत करने वाले 16 विधायकों की सदस्यता का मामला अब सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच को सौंप दिया गया है। इसके साथ ही संवैधानिक बेंच ने कहा कि विधायकों की अयोग्यता पर फैसला वो नहीं ले सकते। इस पर स्पीकर को फैसला लेना होगा। बेंच ने कहा कि अगर उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा नहीं दिया होता तो सरकार बहाल कर सकते थे। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत 16 विधायकों ने उद्धव ठाकरे से पिछले साल जून में बगावत की थी। इसके बाद राज्य में महाविकास अघाड़ी की सरकार गिर गई। वहीं शिंदे और बीजेपी ने मिलकर राज्य में नई सरकार बना ली।
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच की प्रमुख टिप्पणी
- आज सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने अपने निर्णय में कई टिप्पणी की है। एक नजर बड़ी बातों पर डालें:
- उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया। महाराष्ट्र में सुप्रीम कोर्ट पुरानी स्थिति को बहाल नहीं कर सकता।
- विधायकों की अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट फैसला नहीं ले सकता। इस पर फैसला महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर को लेना होगा।
- गवर्नर का काम पार्टी कलह में पड़ना नहीं है। गवर्नर की जिम्मेदारी सुरक्षा भी थी। उद्धव ठाकरे ने अगर इस्तीफा नहीं दिया होता तो सरकार बहाल का आदेश हो सकता था।
- विधानसभा के स्पीकर को सिर्फ पार्टी व्हिप को मान्यता देनी चाहिए। भरत गोगावले को पार्टी का चीफ व्हिप मान लेना गलत था।
- उद्धव ठाकरे को विधायकों ने अपना नेता माना था। स्पीकर को स्वतंत्र जांच करने के बाद फैसला लेना चाहिए था।
- डेप्टी स्पीकर को फैसले से रोकना सही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट इससे सहमत नहीं हैं। सिर्फ विधायक तय नहीं कर सकते कि व्हिप कौन होगा। व्हिप को पार्टी से अलग करना ठीक नहीं है।
शिवसेना विधायकों पर अब बड़ी बेंच करेगी फैसला
शिवसेना के 16 विधायकों के मामले में अब सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच फैसला करेगी। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने इस मामले को बड़ी बेंच के पास भेज दिया है। इसके साथ ही फिलहाल एकनाथ शिंदे समेत 16 विधायकों के भविष्य पर फैसला टल गया है। अब सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच शिवसेना विधायकों की अयोग्यता के मामले पर फैसला सुनाएगी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले को सात जजों की बड़ी बेंच के पास भेज दिया है।