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Haryana: बाढ़ के चलते 4 दिनों तक भूखे-प्यासे रहे लोग, छत को बनाया आशियाना

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अंबाला: बारिश के कारण बहुत से राज्यों में बाढ़ की स्थिती बनी हुई है। गांव के साथ-साथ शहरों में भी हर तरफ पानी भरी हुआ है। लगातार हो रही बारिश में ग्रामिणों के कच्चे मकानों का गिरना खबरों में आता रहता है। इसी बाच अंबाला के बड़ीघेल गांव से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर जगत सिंह का डेरा व पटियाला वालों का डेरा में बाढ़ से हालात बद से बद्त्तर हो चले हैं।  दरअसल, खराब हालातों के बीच चार दिनों तक एक ही छत पर करीब 60 लोग परिवारों सहित फंसे रहे। 

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सिर्फ एक ही मकान की है पक्की छत

बता दें कि इन दोनों डेरों में सिर्फ एक घर को छोड़कर बाकी सभी घरों की मकानें कच्ची छतों की हैं। इतना ही नही डेरों तक पहुंचने का रास्ता भी कच्चा है। स्थानीय डेरा वासियों ने बताया कि बीते दिनों देर रात उनके घरों में अचानक से जलभराव की स्थिति बन चुकी थी। देखते ही देखते जलस्तर बढ़ गया। सभी लोग अपने बच्चों व कुछ जरूरतों के सामान को बचाने का प्रयास कर रहे थे। मात्र कुछ ही घंटों पश्चात पानी का जलस्तर कुछ मकानों की छतों तक पहुंच गया।

चार दिनों से भूखे-प्यासे थे लोग

जैसे-तैसे लोगों ने एक पक्के मकान की छत पर तिरपाल डालकर 4 दिन गुजारा किया। बरसात के कारण गांव में बिजली, पानी और मोबाइल तीनों ही सुविधाएं बंद है। जिसके चलते लोगों को मदद मिलना भी मुश्किल था। लोग कई दिनों से परयाप्त खाना भी नही खा पा रहे थे। 4 दिन बीतने के बाद उनके पास खाने और पानी के पैकेट पहुंचाएं गए।

लोगों से बात-चीत में पता लगा कि इस बाढ़ में सबसे बड़ा संकट खाने व पीने के पानी को लेकर रहा है। बच्चे बिना पानी के रोते-बिलखते देखें हैं। यह मंजर बहुत ही दुखदायी था। छोटे बच्चे समझने को भी तैयार नहीं थे।

जिला प्रशासन को करना चाहिए सहयोग

कर्मचंद ने बताया कि इस आपदा में दोनों डेरों के रिहायशी मकानों की छतों के ऊपर से लगातार तीन दिनों तक तेज बहाव से पानी बहता रहा। जिस वजह से मकानों की दीवारों में दरारें आ चुकी हैं।
वहीं नच्छतर सिंह का कहना है कि इस बड़ी आपदा का शिकार हुए डेरा वासियों के लिए जिला प्रशासन को सहयोग करने के जरूरत है। सब कुछ खत्म हो चुका है। कच्ची छतें जोकि कभी भी गिर सकती हैं।ब

इन दोनों डेरा वासियों के लिए बीते तीन दिनों से हर प्रकार से सहयोग किया जा रहा है। इन लोगों के लिए दूध व खाने के लिए पैकेट आदि भेजे गए थे और वर्तमान हालातों में डेरा वासियों के लिए जिला प्रशासन से विशेष सर्वे की मांग की जाएगी, ताकि इनके डेरा में हुए नुकसान की कुछ भरपाई हो सके।

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