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सनोथ झील का पुनर्निर्माण कर रही केजरीवाल सरकार, पिकनिक स्पॉट के रूप में किया जाएगा तब्दील

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नई दिल्ली:  सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के मंत्री सत्येंद्र जैन ने मंगलवार को घोगा ड्रेन में बने प्राकृतिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और बवाना में बन रही सनोथ झील का सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकारीयों के साथ मुआयना किया। घोगा ड्रेन के प्राकृतिक एसटीपी की गंदे पानी को साफ करने की क्षमता को 10 लाख लीटर प्रतिदिन से बढ़ाकर 50 लाख लीटर प्रतिदिन करने के अधिकारियों को निर्देश दिए। इसके अलावा केजरीवाल सरकार बवाना में 6 एकड़ भूमि पर सनोथ झील को पुनर्जीवित कर रही है।

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सनोथ झील का पुनर्निर्माण कर रही केजरीवाल सरकार

आगे उन्होनें कहा कि घोगा ड्रेन में प्राकृतिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का दौरा किया। यह एसटीपी वेटलैंड प्रणाली पर आधारित है और बिना बिजली के प्रतिदिन 10 लाख लीटर गंदे पानी को साफ करता है। सत्येंद्र जैन ने कहा कि इस एसटीपी की गंदे पानी को साफ करने की क्षमता 10 लाख लीटर प्रतिदिन से बढ़ाकर 50 लाख लीटर प्रतिदिन की जानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि रिसाइकल किये गए पानी का उपयोग नजदीक के क्षेत्र में एक झील बनाकर भूजल को रिचार्ज करने के लिए किया जाएगा।

घोगा ड्रेन के प्राकृतिक एसटीपी की क्षमता बढ़ाकर 50 लाख लीटर की जाएगी- सत्येंद्र जैन

सत्येंद्र जैन ने बवाना में सनोथ झील का भी दौरा किया। इस झील को दिल्ली सरकार आधुनिक तकनीकों के साथ पुनर्जीवित कर रही है। सनोथ झील को पुनर्जीवित करने का कार्य प्रगति पर है और दिसंबर 2021 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने आगे कहा कि सनोथ झील की जल संचय करने की क्षमता को बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि इस झील के माध्यम से अधिक भूजल को रिचार्ज किया जा सके। बवाना कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) से लगभग 3 एमजीडी पानी को रिसाइकल करके सनोथ झील को जीवंत करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

6 एकड़ में फैली सनोथ झील का हो रहा कायाकल्प

सत्येंद्र जैन ने दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएसआईआईडीसी) और सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग (आई एंड एफसी) के अधिकारियों को बवाना एस्केप ड्रेन की सफाई करने के निर्देश दिए। जिसमें 680 क्यूसेक की डिज़ाइन डिस्चार्ज क्षमता है। बवाना एस्केप ड्रेन की सफाई का कार्य डीएसआईआईडीसी और आईएंडएफसी द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा। डीएसआईआईडीसी यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी अनुपचारित या अनधिकृत नाला बवाना एस्केप ड्रेन में न गिरे, जबकि आईएंडएफसी यह सुनिश्चित करेगा कि नालों में बहने वाले पानी की गुणवत्ता को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा निर्धारित गुणवत्ता मापदंडों के अनुसार सुधारा जाए।  रिपोर्ट- कंचन अरोड़ा

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