अध्यादेश के मुद्दे पर मजबूत दिख रही केजरीवाल सरकार, एक्सपर्ट्स ने बताया असंवैधानिक
राजधानी दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश का मुद्दा गरमा गया है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार लगातार केंद्र के अध्यादेश का विरोध कर रही है। वहीं अब इस पर विशेषज्ञ भी अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। विशेषज्ञ भी केंद्र के ऑर्डिनेंस को गलत बता रहे हैं।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा है कि दिल्ली अध्यादेश मुख्य रूप से दिल्ली की आप सरकार को नियंत्रित करने के लिए लाया गया था। वहीं पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने भी अध्यादेश का विरोध किया है। मंगलवार को सीएम केजरीवाल ने ट्विटर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री द्वारा लिखे गए एक अखबार के लेख को शेयर किया। सीएम केजरीवाल ने इसे साझा करते हुए लिखा कि संसद की समवर्ती विधायी शक्ति का प्रयोग जीएनसीटीडी के लंबे समय से मान्यता प्राप्त विधायी और कार्यकारी नियंत्रण को मूल रूप से इसके दायरे में आने वाले मामलों पर कमजोर करने के लिए नहीं किया जा सकता है।
पूर्व कैबिनेट सचिव केएम चन्द्रशेखर ने भी इसका विरोध जताया है। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने अखबार में छपे उनके एक लेख साझा किया है। सीएम केजरीवाल ने लिखा है कि पूर्व कैबिनेट सचिव श्री के.एम. चन्द्रशेखर ने चेतावनी दी कि अध्यादेश से क्या होगा। इसका अपरिहार्य निष्कर्ष यह है कि संविधान में संशोधन की प्रक्रिया से गुजरे बिना अधिक शक्तियां, यहां तक कि सूची II के तहत सभी शक्तियां छीनना संभव है।
दिल्ली सरकार कर रही विरोध
आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने इस मुद्दे पर अन्य विपक्षी दलों से भी अपना समर्थन मांगा है और राज्यसभा में इसका विरोध करने की बात कही है। सीएम केजरीवाल ने अध्यादेश के मुद्दे पर दिल्ली सरकार के साथ आने के लिए अब तक कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों और विपक्ष के कई बड़े नेताओं से मुलाकात की है। इसमें सीएम केजरीवाल कई हद तक सफल रहे हैं। क्योंकि विपक्ष के कई राजनीतिक दलों ने एक सुर में केंद्र के अध्यादेश का विरोध करने की बात कही है।