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केजरीवाल सरकार ने ट्रांसप्लांटेशन के प्रस्ताव को दी मंजूरी, कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट बिल्डिंग के निर्माण का रास्ता साफ

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट बिल्डिंग के निर्माण कार्य में आ रही बाधा को दूर कर दिया है। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को प्रोजेक्ट में बांधक बन रहे 107 पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने या हटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। अशोक रोड पर बनाई जा रही कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट बिल्डिंग के निर्माण कार्य में अब तेजी आ सकेगी। इसमें केंद्र सरकार के प्रशासनिक कार्यालय होंगे। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) ने साइट पर बिल्डिंग निर्माण के चलते प्रभावित 107 पेड़ों को हटाने व ट्रांसप्लांट करने का प्रस्ताव दिया था। सीएम अरविंद केजरीवाल ने उस प्रस्ताव को अपनी मंजूरी देकर प्रोजेक्ट का रास्ता साफ कर दिया। संबंधित एजेंसी को 107 पेड़ों को हटाने व ट्रांसप्लांट करने की एवज में 1070 नए पौधे लगाने की शर्त का कड़ाई से पालन करना होगा।

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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अशोक रोड स्थित प्रोजेक्ट स्थल पर नए कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट भवन के निर्माण में रूकावट बन रहे 107 पेड़ों को हटाने और प्रत्यारोपण की मंजूरी दी है। सीपीडब्ल्यूडी ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत भवन निर्माण का प्रस्ताव दिया है। विभाग का उद्देश्य इस स्थल को केंद्र सरकार के प्रशासनिक कार्यालयों के लिए अत्याधुनिक सुविधा विकसित करना है। हालांकि, साइट पर पेड़ों के कुछ पैच निर्माण में बाधा डाल रहे हैं। सीपीडब्ल्यूडी ने अपने अधिकारियों के जरिए दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर साइट को खाली करने के लिए 107 पेड़ों को हटाने और ट्रांसप्लांट करने की मंजूरी मांगी थी। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने संबंधित प्रस्ताव को मुख्यमंत्री के समक्ष रखा। जिसके बाद सीएम ने 107 पेड़ों के प्रत्यारोपण के लिए अपनी मंजूरी दे दी। निर्माण स्थल पर कोई पेड़ नहीं काटा जाएगा और प्रोजेक्ट स्थल से 107 पेड़ों को हटाने और प्रत्यारोपण के प्रभाव को कम करने के लिए वृक्षारोपण किया जाएगा।

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का कार्य जोरों से चल रहा है और सभी केंद्रीय प्रशासनिक कार्यालयों के लिए एक बिल्डिंग की जरूरत है। इसलिए कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट बिल्डिंग बनाई जा रही है। इसकी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय हित में पेड़ों के ट्रांसप्लांटेशन के काम में तेजी लाने की मंजूरी दे दी। इससे अब सीपीडब्ल्यूडी को साइट पर निर्माण गतिविधि को समय पर पूरा करने में मदद मिलेगी।

प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए दिल्ली सरकार ने कहा है कि संबंधित एजेंसी के रूप में सीपीडब्ल्यूडी सभी 107 पेड़ों का प्रत्यारोपण करेगा और वो किसी भी पेड़ की कटाई नहीं करेगा। सभी पेड़ों का प्रत्यारोपण बदरपुर स्थित एनटीपीसी इको पार्क में होगा। दिल्ली सरकार ने सीपीडब्ल्यूडी से कहा है कि वह साइट पर ट्रांसप्लांटेशन के लिए चिंहित पेड़ों के अलावा एक भी पेड़ को नुकसान न पहुंचाए। यदि स्वीकृत पेड़ों के अलावा किसी अन्य पेड़ को नुकसान पहुंचाया जाता है, तो यह दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1994 के तहत अपराध माना जाएगा।

दिल्ली सरकार ने सीपीडब्ल्यूडी के लिए पेड़ों को हटाने और प्रत्यारोपण की एवज में 10 गुना पेड़ लगाना अनिवार्य किया है। इसलिए विभाग पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए चिन्हित स्थल पर 1070 नए पेड़ लगाने के लिए बाध्य है। अब वो एनटीपीसी इको पार्क में 107 पेड़ों का प्रत्यारोपण करने के अलावा 1070 नए पेड़ पौधे लगाएंगे। इन पेड़ों को दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 12 के तहत वृक्ष अधिकारी/उप वन संरक्षक को मंजूरी और विस्तृत वृक्षारोपण प्रोग्राम पेश करने की तारीख से 4 महीने के भीतर चिन्हित भूमि पर लगाया जाएगा। दिल्ली सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार, सीपीडब्ल्यूडी सात साल तक पेड़ों के रखरखाव की जिम्मेदारी लेगा। दिल्ली सरकार के अनुमोदित प्रस्ताव के अनुसार, पेड़ों को हटाने और प्रत्यारोपण के बदले में दिल्ली की मिट्टी और जलवायु के अनुकूल विभिन्न प्रजातियों के पेड़ लगाए जाएंगे। इनमें नीम, अमलतास, पीपल, पिलखन, गूलर, बरगद, देसी कीकर और अर्जुन सहित अन्य देशी प्रजातियां शामिल हैं।

जिन पेड़ों को प्रत्यारोपित किया जाना है, उनके लिए सीपीडब्ल्यूडी को आवश्यक शर्तें पूरी करने के तुरंत बाद प्रक्रिया शुरू करने और 4 महीने के भीतर इसे पूरा करने के लिए कहा गया है। विभाग पर्यवेक्षण के लिए वृक्ष अधिकारी को इस पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। दिल्ली सरकार ने सीपीडब्ल्यूडी से परियोजना के लिए वृक्ष प्रत्यारोपण नीति 2020 का ईमानदारी से पालन करने और उस पर नियमित प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। यह भी सुनिश्चित करना होगा कि जो प्रत्यारोपित पौधे सर्वाइव न कर पाएं, उनके लिए 15 फीट ऊंचाई और कम से कम 6 इंच व्यास वाली स्वदेशी पौधों की प्रजातियां 1ः5 के अनुपात में लगानी होगी। अगर किसी पेड़ पर पक्षियों का घोंसला पाया जाता है तो उसे तब तक काटने या रोपने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जब तक कि पक्षी उस पेड़ को छोड़ न दें। इसके अलावा पेड़ों की टहनियों की कटाई के 90 दिनों के अंदर उनको मुफ्त में आसपास के श्मशान में भेजा जाएगा।

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