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Judicial Appointment: राष्ट्रपति ने AIJS की स्थापना का दिया सुझाव, लंबे समय से हो रही है मांग

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Judicial Appointment: भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान दिवस के मौके पर रविवार, 26 नवंबर को एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि अदालतों में न्यायाधीशों का चयन राष्ट्रव्यापी अखिल भारतीय न्यायिक सेवा (एआईजेएस) परीक्षा के आयोजन के माध्यम से किया जा सकता है। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि इस तरह के कदम से वंचित पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों को न्यायपालिका में शामिल होने में भी मदद मिल सकती है।

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वंचित लोगों को मिलेगा लाभ

आगे उन्होंने कहा, “आज दुनिया भारत को प्रगति करते देखने का इंतजार कर रही है। हमें वंचित वर्गों के बच्चों को न्यायपालिका में शामिल करने के लिए कुछ कदम उठाने चाहिए। एक अखिल भारतीय न्यायिक सेवा हो सकती है और जो लोग बेंच में रहने की इच्छा रखते हैं उन्हें देश भर से चुना जा सकता है। उन्होंने कहा, ”देश प्रतिभा पूल। मैं एक तंत्र तैयार करने का काम आप पर छोड़ती हूं ताकि न्याय वितरण के इस पहलू को मजबूत किया जा सके।”

Judicial Appointment: 1986 में गठन करने की हुई सिफारिश

बता दें कि भारत के विधि आयोग ने 1986 में जारी अपनी 116वीं रिपोर्ट में एआईजेएस के गठन की सिफारिश की थी। 1992 में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि केंद्र द्वारा विधि आयोग की सिफारिशों की “शीघ्रता से जांच की जाए और लागू किया जाए”। एआईजेएस बनाने के प्रस्ताव पर कुछ वर्षों से बहस चल रही है, फिर भी इसको लेकर मतभेद हैं जिसके कारण आज तक इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया जा सका।

सरकार और न्यायपालिका के बीच गतिरोध

बता दें कि केंद्र सरकार ने 2016 में दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया था कि केंद्र और न्यायपालिका के बीच इस मुद्दे को लेकर गतिरोध हैं। अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन पर जनवरी 2017 में कानून मंत्रालय द्वारा औपचारिक रूप से चर्चा भी की गई थी। इसके अलावे पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने भी अखिल भारतीय स्तर पर न्यायिक अधिकारियों की चयन के लिए एक बॉडी बनाने की बात कही थी। साल 2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों की भर्ती के लिए एआईजेएस के निर्माण की मांग करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर विचार करने से इनकार कर दिया, यह देखते हुए कि यह ऐसा कुछ नहीं है जो “न्यायिक आदेश” द्वारा किया जा सकता है।

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