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Instant Hearing: मामलों के निपटान में देरी होना है लाजमी- शीर्ष अदालत

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Instant Hearing: उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में टिप्पणी करते हुए कहा कि चूंकि भारत में उच्च न्यायालयों के समक्ष बड़ी संख्या में जमानत आवेदन लंबित हैं, इसलिए ऐसे मामलों के निपटारे में कुछ देरी लाजमी है। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने नियमित रूप से किसी भी मामले को एक निश्चित समय-सीमा में निपटाने का आदेश देने को लेकर आगाह किया, क्योंकि भारत के हर अदालत में पहले से ही मामले लंबित होती है।

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Instant Hearing: बड़ी संख्या में जमानत याचिका हैं दायर

कोर्ट ने कहा, “प्रत्येक उच्च न्यायालय और विशेष रूप से बड़े उच्च न्यायालयों में, बड़ी संख्या में जमानत याचिकाएं दायर की जाती हैं और इसलिए, जमानत याचिकाओं के निपटान में कुछ देरी लाजमी है… हमारा विचार है कि चूंकि प्रत्येक उच्च न्यायालय और प्रत्येक न्यायालय में देश में बड़ी संख्या में लंबित मामले हैं, संवैधानिक न्यायालय को किसी भी न्यायालय के समक्ष किसी भी मामले के निपटान के लिए समयबद्ध कार्यक्रम तय करने से बचना चाहिए, जब तक कि स्थिति असाधारण न हो”।

शीघ्र निपटारा करने से किया था इनकार

शीर्ष कोर्ट ने 10 नवंबर को बॉम्बे हाई कोर्ट को एक जमानत याचिका का शीघ्र निपटारा करने का निर्देश देने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की। इस मामले में जमानत याचिका जून से बॉम्बे हाई कोर्ट में लंबित थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि कोई असाधारण तात्कालिकता है, तो आरोपी हमेशा उच्च न्यायालय के समक्ष शीघ्र सुनवाई का अनुरोध कर सकता है।

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