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दिल्ली: RTI कर ले सकते हैं पत्नी की सामान्य आय की जानकारी, अगर मामला भरण-पोषण से हो जुड़ा

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Wife Maintenance Case: पत्नी के भरण-पोषण मामले में सबूत कंफर्म करने के लिए पति आरटीआई या सूचना के अधिकार के माध्यम से पत्नी की सामान्य आय का विवरण मांग सकता है ये बात भारत के केंद्रीय सूचना आयोग का कहना है। केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने हाल ही में एक केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) को एक व्यक्ति को रखरखाव के मामले में इन विवरणों को सत्यापित करने के लिए केवल उसकी पत्नी की “शुद्ध कर योग्य आय या सकल आय का सामान्य विवरण” प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

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पहले भी इसी तरह का आदेश दे चुकी है आयोग

बता दें, 27 सितंबर के एक आदेश में, सूचना आयुक्त सरोज पुन्हानी ने कहा कि रहमत बानो बनाम मुख्य आयकर आयुक्त मामले में केंद्रीय सूचना आयोग ने पहले इसी तरह के अनुरोध की अनुमति दी थी। इसलिए, समान मानदंडों को लागू करके वर्तमान मामले में अपीलकर्ता (पति) को भी ऐसी जानकारी का हकदार माना जाए। अपीलकर्ता ने 10 अक्टूबर, 2022 को एक आरटीआई आवेदन कर अपनी पत्नी की सकल और शुद्ध आय का विवरण मांगा था।

सीपीआईओ ने सूचना देने से किया था इनकार

बता दें, 2 फरवरी, 2023 को सीपीआईओ ने सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई अधिनियम) की धारा 8(1)(जे) के तहत प्रतिबंधों का हवाला देते हुए आय की जानकारी देने से इनकार कर दिया। इसके बाद 16 फरवरी को अपीलकर्ता ने अपनी पहली अपील दायर की। हालांकि, गिरीश रामचन्द्र देशपांडे बनाम केंद्रीय सूचना आयोग और अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए इस अपील को भी खारिज कर दिया गया था।

परेशान होकर की दूसरी अपील

मामले में, अपीलकर्ता ने दूसरी अपील के साथ सीआईसी यानी केंद्रीय सूचना आयोग का रुख किया। अपीलकर्ता ने कहा कि उसने अपने खिलाफ दायर चल रहे भरण-पोषण मामले में सबूतों की पुष्टि के लिए अपनी अलग रह रही पत्नी की आय से संबंधित विवरण मांगा था। उन्होंने तर्क दिया कि आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(जे) के तहत उन्हें जानकारी नहीं दी जा सकती।

पत्नी ने भरण-पोषण की मांग की थी

मामले में, अपीलकर्ता की पत्नी ने कहा कि चूंकि भरण-पोषण मामले के दौरान ऐसे रिकॉर्ड पहले ही सिविल कोर्ट में पेश किए जा चुके हैं, इसलिए आरटीआई आवेदन के माध्यम से जानकारी मांगने का कोई मतलब है। आगे केंद्रीय सूचना आयोग ने स्वीकार किया कि विजय प्रकाश बनाम भारत संघ मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने देखा है कि पति-पत्नी के बीच निजी विवादों में, धारा 8(1)(जे) द्वारा प्रदान की गई बुनियादी सुरक्षा को हटाया या परेशान नहीं किया जा सकता है। हालांकि, केंद्रीय सूचना आयोग ने बताया कि रहमत बानो मामले में, एक व्यक्ति की सकल आय का खुलासा उसकी अलग हो चुकी पत्नी को करने की अनुमति दी गई थी।

आयोग ने उच्च न्यायालयों के आदेश का रखा ध्यान

मामले की सुनवाई के दौरान केंद्रीय सूचना आयोग ने अलग-अलग उच्च न्यायालयों के निर्णयों का ध्यान रखा, सीआईसी ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय और बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णयों को ध्यान में रखा था। बता दें, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने 2018 के एक फैसले में कहा था कि आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(जे) से निपटते समय, कोई इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकता है कि पक्ष पति और पत्नी हैं और एक पत्नी होगी। यह जानने का हकदार है कि उसके पति को कितना पारिश्रमिक मिल रहा है।

बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्णय को बनाया गया आधार

उसी साल बॉम्बे हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि मुकदमे में जहां मुद्दा पत्नी के भरण-पोषण का था, वेतन विवरण से संबंधित जानकारी अब व्यक्तिगत जानकारी की श्रेणी तक सीमित नहीं रहेगी। इन फैसलों को वर्तमान मामले में लागू करते हुए, केंद्रीय सूचना आयोग ने केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी को अपीलकर्ता की पत्नी की “शुद्ध कर योग्य आय या सकल आय का सामान्य विवरण” अपीलकर्ता यानी (पति) को प्राप्ति की तारीख से 15 दिनों के भीतर प्रदान करने का निर्देश दिया।

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