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दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ “Corrective Petition”

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Supreme Court News: वोडाफोन आइडिया ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक Corrective Petition दायर की है। बता दें, दूरसंचार कंपनियों द्वारा Adjusted Gross Revenue बकाया में त्रुटियों को सुधारने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी गई थी। इस याचिका का उल्लेख वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष किया था। वकील हरीश साल्वे ने कहा, “इस अदालत ने कहा है कि अंकगणितीय त्रुटियां हैं और इसे एक उपचारात्मक याचिका मानी जाएगी।” भारत के मुख्य न्यायाधीश ने फिर पूछा कि बहस में कितना समय लगेगा, जिस पर हरीश साल्वे ने जवाब दिया कि इसमें केवल एक दिन लगेगा। उसके बाद, सीजेआई ने पुष्टि की कि मामले के कागजात प्रसारित किए जाएंगे।

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दूरसंचार कंपनियों को मिली थी 10 साल की अवधि

सितंबर 2020 में, उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों को केंद्र सरकार को लंबित Adjusted Gross Revenue बकाया चुकाने के लिए 10 साल की अवधि दी, जिसमें हर साल 10 प्रतिशत भुगतान करने की बात कही गई थी। पहली किस्त के लिए टेलीकॉम कंपनियों को 31 मार्च, 2021 की समय-सीमा दी गई थी। कंपनियों ने बताया था कि दूरसंचार विभाग ने AGR बकाया की गणना में अंकगणितीय त्रुटियां की है और वे चाहते थे कि न्यायालय त्रुटियों को सुधारने की अनुमति दे।

टेलीकॉम कंपनियां पर करोड़ों की देनदारी

बता दें कि वोडाफोन-आइडिया पर कुल देनदारी ₹58,254 करोड़ थी, जबकि भारती एयरटेल को ₹43,980 करोड़ का भुगतान करना था। वोडाफोन-आइडिया के अपने अनुमान के अनुसार पहले बकाया राशि ₹21,533 करोड़ बताई गई थी, लेकिन शीर्ष अदालत ने टेलीकॉम कंपनियों को अपने बकाया का स्व-मूल्यांकन करने से रोक दिया था। DoT ने अपनी गणना के अनुसार, ₹58,400 करोड़ का AGR बकाया मांगा। 23 जुलाई, 2021 को शीर्ष अदालत ने दूरसंचार कंपनियों भारती एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और टाटा की याचिकाओं को खारिज कर दिया था। जिसमें शीर्ष अदालत के अक्टूबर 2019 के फैसले के अनुसार उनके द्वारा देय एजीआर बकाया की गणना में त्रुटियों को सुधारने की मांग की गई थी।

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