दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में “द्विभाषी” रखने पर किया जा रहा है विचार, बधिर भी समझ सकेंगे कार्यवाही
Supreme Court Wants interpreter For Its Constitution Bench: देशभर में रोज सैकड़ों अदालती कार्यवाही होती है। अधीनस्थ न्यायलय से लेकर उच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय से उच्चतम न्यायालय तक लेकिन ये जरूरी नहीं है कि देश के प्रत्येक नागरिक कोर्ट की कार्यवाही को आसानी से समझ सकें। देश के नागरिक कानून कार्यवाही को सुगम तरीके समझ सके इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुझाव दिया कि वह संविधान पीठ की सभी सुनवाई के दौरान एक दुभाषिया मौजूद रखने पर विचार कर रहा है ताकि अदालती कार्यवाही को बधिर व्यक्तियों सहित सभी आमजन समझ सकें।
Deaf Lawyer सारा सनी पर गौर करने के बाद आया सुझाव
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने एक मामले की सुनवाई कर रही बहरी यानी Deaf वकील सारा सनी की उपस्थिति पर गौर करने के बाद आज यह सुझाव दिया। शीर्ष अदालत ने अपने खर्च पर एक दुभाषिया नियुक्त करने का फैसला किया था ताकि वकील सारा सनी सुनवाई का बेहतर तरीके से पालन कर सकें। सीजेआई चंद्रचूड़ ने संकेत दिया है कि इस कदम को व्यापक स्तर पर लागू किया जा सकता है.
पहली बार अदालत द्वारा नियुक्त हुआ दुभाषिया
बता दें, भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “मैं महासचिव से कह रहा था कि अब संविधान पीठों के लिए, हमें एक दुभाषिया रखना चाहिए ताकि सुनवाई सभी को समझ में आ सके। यह पहली बार है कि अदालत द्वारा नियुक्त दुभाषिया यहां उपस्थित हुआ है।” बता दें, सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने इस सुझाव का स्वागत किया और टिप्पणी की, “यह वास्तव में ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण है। इस अदालत में यह निर्णय सही मायने में विविधता को दर्शाता है।”
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