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सीएम केजरीवाल ने कसा तंज, कहा – ‘CBI-ED का नाम बदलकर BJP सेना रख देना चाहिए’

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केंद्र सरकार के अध्यादेश को लेकर दिल्ली की सियासत उबाल मार रही है। जहां एक तरफ अध्यादेश लाकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया तो वहीं दूसरी तरफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी केंद्र को घेरने के लिए मोर्चा खोल दिया है। सीएम केजरीवाल लगातार अन्य विपक्षी दलों के राजनेताओं से मुलाकात कर ऑर्डिनेंस को मात देने की मांग कर रहे हैं। अब तक सीएम केजरीवाल कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों और कई पार्टियों के शीर्ष नेतृत्वकर्ताओं से मुलाकात कर चुके हैं। इसी कड़ी में आज सीएम केजरीवाल ने सीपीआई के महासचिव डी. राजा से मुलाकात की। आपको बता दें कि डी. राजा ने अध्यादेश के मुद्दे पर दिल्ली सरकार का समर्थन किया है।

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बता दें कि सीएम केजरीवाल ने शिष्टाचार भेंट के बाद डी. राजा संग संयुक्त प्रेस वार्ता की। इस दौरान सीएम केजरीवाल ने केंद्र के अध्यादेश को लेकर कई अहम बातें कहीं। केजरीवाल ने अध्यादेश को खतरनाक बताया। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा।

प्रेस वार्ता के दौरान सबसे पहले सीएम केजरीवाल ने समर्थन करने के लिए डी. राजा का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि केंद्र का अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश और दिल्ली की चुनी हुई सरकार के अधिकार को कुचलने वाला है। सीएम केजरीवाल ने कहा अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नहीं बल्कि दिल्ली के नए सीएम नरेंद्र मोदी होंगे और वही सभी फैसले लेंगे। अध्यादेश न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के आदेश को खारिज करता है, बल्कि दिल्ली सरकार को पूरी तरह से अपंग भी बनाता है। अध्यादेश कहता है कि दिल्ली सरकार में सभी आयोगों, बोर्डों, निगमों और वैधानिक प्राधिकरणों के अध्यक्षों व सदस्यों की नियुक्ति केंद्र करेगा।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ये भी बताया कि अध्यादेश के जरिए सभी विभागों को केंद्र सरकार चलाएगी। उन्होंने कहा कि केंद्र अब डीटीसी, डीजेबी, दिल्ली राज्य औद्योगिक विकास निगम, दिल्ली परिवहन एवं पर्यटन विकास निगम, दिल्ली महिला आयोग, दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग समेत 50 से ज्यादा निकायों में नियुक्तियां करेगा। केंद्र सरकार इन निकायों के जरिए दिल्ली के सभी क्षेत्रों को खुद चलाएगी, भले ही वे राज्य सरकार के अधीन हों।

उन्होंने ये भी बताया कि केंद्र अध्यादेश से मुख्य सचिवों और सचिवों को शक्तियां दे दी गई हैं। उन्होंने कहा कि इतिहास में पहली बार किसी विभाग के सचिव को मंत्री से ऊपर और मुख्य सचिव को कैबिनेट से ऊपर कर दिया गया है। अध्यादेश में कहा गया है कि अब किसी भी विभाग के सचिव अपने मंत्री के दिए गए किसी भी निर्देश की वैधता तय करेंगे। अभी तक मंत्री के लिखित निर्देश अधिकारियों के लिए बाध्य होते थे, लेकिन अब सचिव को बॉस बना दिया गया है और वो मंत्री के निर्देश को मानने से इन्कार कर सकता है।

दिल्लीवालों के खिलाफ केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश में कई ऐसे प्रावधान हैं, जो अभी तक जनता के बीच नहीं आए हैं। इन्होंने अध्यादेश के जरिए केवल सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ही खारिज नहीं किया है, बल्कि अध्यादेश में तीन ऐसे प्रावधान शामिल किए हैं, जिससे दिल्ली सरकार ही पूरी तरह से खत्म हो जाती है। अध्यादेश में कहा गया है कि अगर कोई मंत्री अपने सचिव को कोई आदेश देगा तो सचिव यह निर्णय लेगा कि मंत्री का आदेश कानूनी रूप से ठीक है या नहीं। अध्यादेश में सचिव को यह शक्ति दी गई है। अगर सचिव को लगता है कि आदेश कानूनी रूप से ठीक नहीं है तो वो मंत्री का आदेश मानने से इन्कार कर सकता है। यह दुनिया के अंदर पहली बार हो रहा है कि सचिव को मंत्री का बॉस बना दिया गया है।

सीएम अरविंद केजरीवाल ने इससे जुड़े दो उदाहरण भी साझा किया। उन्होंने कहा कि पहला मामला विजिलेंस सचिव से जुड़ा है। सर्विसेज मंत्री सौरभ भारद्वाज ने विजिलेंस सचिव को एक वर्क ऑर्डर दिया कि किस तरह से कार्य किया जाएगा, मगर विजिलेंस सचिव ने दिल्ली सरकार के अंदर खुद को एक स्वतंत्र प्राधिकारी घोषित कर दिया है। वो कह रहे हैं कि अध्यादेश के आने के बाद मैं दिल्ली की चुनी हुई सरकार के प्रति जवाबदेह नहीं हूं। एलजी के प्रति भी मैं बनाए गए प्राधिकरण के तहत ही जवाबदेह हूं। सीएम ने कहा कि इस तरह सरकार में रोजमर्रा के कार्य के लिए भी विजिलेंस सचिव का कहना है कि मेरा कोई बॉस नहीं है। मैं तो एक स्वतंत्र प्राधिकारी हूं।

सीएम अरविंद केजरीवाल ने दूसरा उदाहरण देते हुए कहा कि दिल्ली में एक जगह झुग्गियां तोड़ी गई। दिल्ली सरकार के वकील ने झुग्गियां तोड़ने के खिलाफ बहुत कमजोर दलीलें दी। उसकी दलीलों को सुन कर ऐसा लगा रहा था कि वो दूसरी पार्टी से मिला हुआ है। इसके बाद संबंधित मंत्री ने सचिव को आदेश दिया कि हमें अगली सुनवाई में कोई अच्छा और वरिष्ठ अधिवक्ता नियुक्त करना चाहिए। इस पर संबंधित सचिव फाइल में लिखती हैं कि अधिवक्ता की नियुक्ति का अधिकार मेरा है। मंत्री इसके लिए मुझे आदेश नहीं दे सकते हैं कि हमें किस अधिवक्ता को नियुक्त करना चाहिए। इस लिहाज से मैं मंत्री के आदेश को कानूनी रूप से सही नहीं मानती हूं और उनका आदेश खारिज करती हूं। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस तरह से हम सरकार कैसे चलाएंगे। अब तो हर सचिव यह तय कर रहा है कि मंत्री का कौन सा आदेश गैर-कानूनी है और कौन सा नहीं है। ये तो जब मर्जी चाहे मंत्री के आदेश को गैर-कानूनी करार दे सकते हैं। आज हर एक सचिव सुप्रीम कोर्ट का जज बन गया है।

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अध्यादेश में एक प्रावधान के तहत मुख्य सचिव को शक्ति दी गई है कि वो यह तय करेगा कि कैबिनेट का कौन सा निर्णय कानूनी और गैर-कानूनी है। जबकि राज्य की कैबिनेट सुप्रीम होती है। जिस तरह से देश की कैबिनेट सुप्रीम होती है। मगर अब अगर मुख्य सचिव को यह लगेगा कि कैबिनेट का निर्णय गैर-कानूनी है तो वो उसे उपराज्यपाल के पास भेजेगा। इसमें उपराज्यपाल को यह शक्ति दी गई है कि वो कैबिनेट के किसी भी निर्णय को पलट सकता है। आज तक भारत और दुनिया के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि मंत्री के उपर सचिव को और कैबिनेट के उपर मुख्य सचिव को बैठा दिया गया हो। यह चीज आज तक कभी नहीं हुई।

सीएम केजरीवाल ने सीबीआई और ईडी के मुद्दे पर भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा ये बहुत गलत है। भारतीय जनता पार्टी को अगर लगता है कि डर फैलाकर, मंत्रियों को गिरफ्तार करके, उनके पीछे ईडी छोड़कर, उनकी सीट आ जाएंगी तो भूल जाएं तमिलनाडु में उनकी एक भी सीट नहीं आने वाली, पूरा देश देख रहा है, एक जमाना था, जब सीबीआई और ईडी रेड मारती थी तो लोगों को लगता था कि कुछ गलत काम किया होगा। अब अगर सीबीआई और ईडी रेड मारती है तो लोगों को लगता है कि जरूर इसने कोई सही काम किया होगा इसलिए इसे तंग किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि सीबीआई और ईडी का नाम बदलकर बीजेपी सेना रख देना चाहिए।

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