Bihar: बीजेपी का तेजस्वी पर तंज, सिर्फ कह देने से कोई नहीं बन जाता गरीबों का मसीहा
BJP to Tejashwi: पटना में बीजेपी ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद के बयान के बाद तीखी प्रतिक्रिया दी है। बीजेपी के प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने गुरुवार को कहा कि लालू प्रसाद के शासनकाल में निगम कर्मियों को वेतन नहीं मिलता था और वह भुखमरी के शिकार होते थे।
मंगलवार को भाजपा मीडिया सेंटर में प्रेस से रूबरू होते हुए प्रभाकर मिश्रा ने कहा कि मैं बिहार के नाकाबिल इंडी गठबंधन के नेता तेजस्वी यादव से पूछना चाहता हूं कि वह जिस सभा में जाते हैं, अपने पिता लालू प्रसाद को गरीबों का मसीहा कहते हैं। मैं तेजस्वी यादव से पूछना चाहता हूं कि उनके माता-पिता के शासनकाल में बिहार सरकार के जितने निगम थे, उन निगम के कर्मचारियों के वेतन को उन्होंने बंद कर दिया था। 9 साल तक उन लोगों को वेतन नहीं मिला. 35 हजार कर्मचारी थे। वे भुखमरी के शिकार हो गए.
उन्होंने कहा, कर्मचारी 35000 थे. अगर कुल संख्या देखी जाए तो यह ढाई लाख के करीब है। इन लोगों को उनकी चिंता नहीं थी उनके वित्तीय प्रबंधन फेल हो चुका था। कर्मचारियों को वेतन देने में वह सक्षम नहीं थे। केवल कह देने से कोई गरीबों का मसीहा नहीं बन जाता है। कष्ट इतना था कि उन कर्मचारियों के परिवार के लोग आत्मदाह कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि ऐसे ही एक युवक थे चंदन भट्टाचार्य जिन्होंने 2002 में आत्महत्या कर ली थी। ये परितोष भट्टाचार्य के पुत्र थे और स्कूल का फीस नहीं भर पा रहे थे। उन्होंने तेजस्वी से अपने माता – पिता के शासनकाल में बिहार की हालत पर जवाब मांगते हुए कहा कि राजद राज में वेतन बंद होने से कर्मचारी क्यों आत्मदाह कर रहे थे, तेजस्वी को यह भी बताना चाहिए।
मिश्रा ने कहा कि उस दौर में सरकार अपनी विश्वसनीयता खो चुकी थी। लोग शाम होते अपनी बेटियों को घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दिए थे। उद्योग के रूप में अपहरण उद्योग चल रहा था, जिसका मुख्यालय सीएम आवास हो गया था। उन्होंने कहा कि उस दौर को बिहार के लोगों ने झेला है। मुख्यमंत्री के परिवार के लोग फुटपाथ सहित अन्य दुकानदारों से हफ्ता वसूलते थे।
उन्होंने तेजस्वी से राजद के उस दौर की जानकारी लेने की सलाह देते हुए कहा कि पहले उस दौर का पता कर लें तब अपने पिता को गरीबों का मसीहा बताएं। उन्होंने कहा कि पति-पत्नी के शासनकाल में शाम गहराते ही सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता था। लोग डर के मारे अपने घरों से नहीं निकलते थे। बिजली के खंभे थे, उसपर तार भी थे, पर उसमें बिजली नहीं थी। बिजली के तार कपड़े सुखाने के काम में आते थे। शिल्पी-गौतम हत्याकांड के बाद तो लोग लड़कियों को दिन में भी घर से बाहर नहीं भेजते थे। शिक्षित युवाओं के लिए को वैकेंसी नहीं थी। कुछ वैकेंसी आती थी, तो बहाली के लिए उसपर बोली लगती थी। जो सबसे अधिक बोली लगाता था, उसी को नौकरी मिलती थी। सड़कों का हाल ऐसा था कि पता नहीं लगता था कि सड़क में गड्ढा है या गड्ढे में सड़क है। अस्पताल आवारा पशुओं के आरामगाह बन गये। अस्पतालों के बेड पर आवारा कुत्ते आराम फरमाते थे।
मिश्रा ने कहा कि उस दौर में स्कूल में न तो बच्चे थे और न गुरुजी। बेंच-डेस्क और कुर्सी भी नहीं थे। स्कूल भवन बारातियों के ठहरने और भूसा रखने का काम आता था। उन्होंने कहा कि लालू-राबड़ी की सरकार कर्मचारियों की आधारभूत आवश्यकताओं को पूरा करने में हर तरह से विफल रही थी।
उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि अगर युवाओं से तेजस्वी को हमदर्दी है तो वे 26 साल में 53 बेशकीमती सम्पत्तियों के मालिक बनने का तरीका बता दें, सभी युवा उनकी तरह हो जाएंगे। प्रेस वार्ता में प्रदेश प्रवक्ता जयराम विप्लव,मीडिया सह प्रभारी प्रभात मालाकार, सूरज पांडेय, प्रेस पैनलिस्ट सच्चिदानंद पियूष मौजूद रहे।
वहीं पत्रकारों से बात करते हुए तेजस्वी ने एनडीए पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि यह लोग मुद्दों की बात नहीं करते. मुद्दे की बात होनी चाहिए, हम तो मुद्दे की बात करना चाहते हैं, हम बेरोजगारी, महंगाई के बारे में बात कर रहे हैं.भाजपा के लोगों ने एक बार भी बोला हो कि हम बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देंगे?. बिहार का भविष्य कैसे बहतर करेंगे, इस बारे में तो उन्होंने कुछ नहीं बोला.
रिपोर्टः सुजीत श्रीवास्तव, ब्यूरोचीफ, बिहार
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