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हिमाचल के 67 वर्षीय धावक सुरेन्द्र ने मलेशिया में जीते तीन मेडल, रह गया हर कोई दंग!

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Himachal News: इस उम्र में जब इसान को आराम करना पसंद है, लेकिन हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर के वार्ड 2 के धावक सुरेन्द्र सिंह की कहानी कुछ और ही कहती है। 67 साल की उम्र में उन्होंने दर्जनों मेडल जीतकर सबको चौंका दिया। सुरेंद्र ने हाल ही में मलेशियाई ओपन मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में तीन पदक जीते। इस उम्र में ही धावक सुरेंद्र ने पांच से पचास किलोमीटर तक की दौड़ में हिस्सा लिया।

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जानकारी के मुताबिक, सुरेन्द्र सिंह सात बार नेशनल ओपन मास्टर्स में हिस्सा ले चुके हैं। उन्होंने इस वर्ष मलेशिया में आयोजित मास्टर्स एथलेटिक्स प्रतियोगिता में आठ स्वर्ण पदक, तीन रजत पदक और दो रजत और कांस्य पदक जीते। 2023 में ही उन्होंने थाईलेंड में 1500 मीटर दौड़ में एक रजत, एक कांस्य और एक रजत पदक जीता था। सुरेन्द्र सिंह ने चेन्नई, बेंगलुरु, कोलकाता, गुजरात, पटियाला और मणिपुर राज्यों में भी एक मास्टर एथलीट के रूप में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है।

सुरेंद्र सिंह ने मलेशियाई ओपन मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 800 मीटर स्पर्धा में कांस्य पदक, 1500 मीटर स्पर्धा में रजत पदक और 3000 मीटर स्पर्धा में रजत पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया। 67 साल की उम्र में भी खेल से जुड़े रहना अपने आप में एक मिसाल है।

17 साल से सेना में सेवा दे रहे सुरेंद्र सिंह रोजाना सुबह-शाम खेल मैदान में ट्रेनिंग करते हैं और फिट रहने के लिए सक्रिय रहते हैं। कोरोना वायरस महामारी के दौरान भी सुरेंद्र ने दौड़ने के अपने शौक को जारी रखा।

जब वह 45 साल का था तब वह चाहता था

धावक सुरेंद्र सिंह ने कहा कि उन्होंने 45 साल की उम्र में दौड़ना शुरू किया। धीरे-धीरे मैंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में भाग लेना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने दर्जनों पदक जीते हैं। मेरा अगला लक्ष्य यूरोप में इंटरनेशनल मास्टर्स ऑफ एथलेटिक्स में प्रतिस्पर्धा करना और स्वर्ण पदक जीतना है। सुरेंद्र सिंह ने अपने बच्चों को नशे से दूर रहने की सलाह दी और अपनी सफलता का श्रेय अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण को दिया। उन्होंने खिलाड़ियों से कहा कि वे कड़ी मेहनत से ही शीर्ष प्रदर्शन हासिल कर सकते हैं।

युवा भी ले रहे प्रेरणा

सुरेंद्र सिंह की पत्नी मीरा ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि अगर सुरेंद्र पदक जीतते हैं तो खुशी होगी। उन्होंने कहा कि जब भी वह भारत छोड़ते हैं तो वह उन्हें फोन पर प्रोत्साहित करते हैं। स्थानीय युवा जोगिंदर सिंह ने कहा कि 67 साल की उम्र में पदक जीतना अद्भुत है। सुरेंद्र अब युवाओं के लिए भी प्रेरणा हैं।

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