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काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद केस: सर्वे को लेकर मुस्लिम पक्ष का विरोध, कमिश्नर बदलने की मांग

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काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद केस: वाराणसी के काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी समेत कई विग्रहों के सर्वे का काम चल रहा है।

काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी केस
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काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद केस: वाराणसी के काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी समेत कई विग्रहों के सर्वे का काम चल रहा है। कोर्ट के आदेश पर यह सर्वे हो रहा है। इस सर्वे को लेकर वाराणसी में हंगामा मचा हुआ है। सर्वे की कार्रवाई शुरू होने के बाद से ही विरोध प्रदर्शन जारी है।

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मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट कमिश्नर पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए उन्हें हटाने की मांग की है। दूसरी तरफ मस्जिद परिसर में आज सर्वे का दूसरा दिन है। मौके पर भारी सुरक्षाबल तैनात हैं और पुलिस ने एहतियातन पेट्रोलिंग भी बढ़ा दी है।

मु्स्लिम पक्ष की तरफ से प्रार्थना पत्र देकर मांग की गई है कि कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को हटाकर माननीय न्यायालय स्वयं या उनकी जगह किसी दूसरे वरिष्ठ वकील को वकील कमिश्नर नियुक्त करे, ताकि निष्पक्ष न्याय हो। मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। मामले की अगली सुनवाई 9 मई को होगी।

हालांकि सुनवाई के बाद कोर्ट ने सर्वे रोकने को लेकर कोई आदेश नहीं दिया है। दरअसल, कोर्ट कमिश्नर को हटाने की मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर सुनवाई के बाद भी सर्वे जारी रहेगा। फिलहाल अभी अजय मिश्रा ही सर्वे करेंगे।

किस बात को लेकर है विवाद

प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि सूर्यास्त के बाद वकील कमिश्नर मस्जिद के अंदर जाने की जिद पर कर रहे थे, जबकि कोई ऐसा आदेश माननीय न्यायालय ने नहीं दिया है। इस दौरान दोनों पक्षों की तरफ से जमकर नारेबाजी की गई।

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क्या है मामला?

काशी विश्वनाथ मंदिर और मंदिर परिसर में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का केस 1991 से चल रहा है। वाराणसी के स्थानीय अदालत के साथ-साथ यह इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रही है। वहीं मां श्रृंगार गौरी का केस साढ़े 7 महीने पुराना है। 18 अगस्त 2021 को वाराणसी की पांच महिलाओं ने बतौर वादी वाराणसी सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना दर्शन-पूजन की मांग और अन्य मांगों के साथ अदालत में एक याचिका दायर की थी।

महिलायों की याचिका को अदालत ने स्वीकार करते हुए मौके की स्थिति जानने के लिए वकील कमिश्नर नियुक्त करने और तीन दिन के अंदर पैरवी का आदेश दिया था। लेकिन बार-बार कोर्ट कमिश्नर के बैकफुट पर चले जाने के चलते विवादित स्थल का मुआयना नहीं हो सका था।

फिर 8 अप्रैल को कोर्ट ने कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को नियुक्त करते हुए कमीशन और वीडियोग्राफी की कार्रवाई करने की फिर से अनुमति दे दी थी। जिसके बाद प्रतिवादियों द्वारा आपत्ति दर्ज कराई गई थी। जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दलील को खारिज कर दिया और ईद के बाद कमीशन और वीडियोग्राफी की कार्रवाई करके 10 मई से पहले रिपोर्ट मांगी है। सुनवाई की तारीख भी 10 मई को तय की गई है।

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