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क्या 20 साल बाद भारत ऑस्ट्रेलिया से हिसाब बराबर करेगा?

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भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया 2023 वर्ल्ड कप फाइनल की खबर ने 2003 वर्ल्ड कप फाइनल की कड़वी यादों को ताजा कर दिया। आज जैसे वनडे क्रिकेट में भारत को हराना एक हद तक नामुमकिन लगता है, कुछ वैसा ही 2003 में ऑस्ट्रेलिया के साथ था। सच कहूं तो उस समय की ऑस्ट्रेलिया आज की भारतीय टीम से भी ज्यादा ताकतवर थी।

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जब तक उसके 10 विकेट नहीं गिर जाते थे, तब तक कोई भी क्रिकेट पंडित ऑस्ट्रेलिया को मैच से बाहर करने की जुर्रत नहीं करता था। तारीख थी 23 मार्च 2003 और जगह जोहान्सबर्ग, साउथ अफ्रीका का वांडरर्स स्टेडियम। पता नहीं सौरभ गांगुली ने टॉस जीतकर क्या सोचा और गेंदबाजी का निर्णय ले लिया। शायद उन्हें लगा कि हमारे बॉलर्स शुरुआती नमी का फायदा उठाएंगे। फायदा कंगारू टीम के सलामी बल्लेबाजों ने उठाया।

गेंदबाजों का कत्लेआम करने के लिए कुख्यात

एडम गिलक्रिस्ट और मैथ्यू हेडन ने पहले विकेट के लिए 14 ओवर में 105 रन जोड़े। दोनों छोर से कुटाई चल रही थी। यह सलामी जोड़ी उस जमाने में गेंदबाजों का कत्लेआम करने के लिए कुख्यात थी। तेज गेंदबाजों ने पूरी तरीके से हथियार डाल दिए थे। ऐसे में भारतीय स्पिनर्स ने मोर्चा संभाला। हरभजन सिंह ने दोनों सलामी बल्लेबाजों को पवेलियन भेज दिया।

वर्ल्ड क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर डेमियन मार्टिन

गिलक्रिस्ट के बल्ले से 57 और मैथ्यू हेडन के बल्ले से 37 रन आए। 19.5 ओवर में 125 पर 2 आउट। यहां से वापसी की थोड़ी-बहुत उम्मीद नजर आ रही थी। विराट कोहली से पहले पुल शॉट के भगवान कहे जाने वाले रिकी पोंटिंग और महेंद्र सिंह धोनी से पहले वर्ल्ड क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर डेमियन मार्टिन का इरादा कुछ और था। दोनों ने मिलकर 181 गेंद पर अटूट 234 रन जोड़े।

भारत का कोई गेंदबाज इन दोनों को आउट ही नहीं कर सका। देशभर में अफवाह फैल गई, रिकी पोंटिंग ने स्प्रिंग वाले बैट से बैटिंग की है। साथ ही इन दोनों कंगारू बल्लेबाजों ने डोपिंग का सहारा लिया, जिस वजह से उनके भीतर अचानक से बहुत ज्यादा ताकत आ गई। बचपन में हम इन अफवाहों को सच मानते थे।

सोशल मीडिया का नामोनिशान नहीं

सोच कर देखिए जिस दौर में सोशल मीडिया का नामोनिशान नहीं था, उस वक्त इन आरोपों को पूरा भारत   पूरी तरह सही कह रहा था। गांव-मोहल्लों में तो लोग रिकी पोंटिंग का नाम सुनना भी पसंद नहीं करते थे। रिकी पोंटिंग ने 121 गेंद पर 4 चौकों और 8 छक्कों के साथ 140* रन बनाए। डेमियन मार्टिन 84 गेंद पर 7 चौकों और 1 छक्के की मदद से 88 रन बनाकर नाबाद रहे।

सचिन खेल जाएंगे तो भारत जीत जाएगा

ऑस्ट्रेलिया ने निर्धारित 50 ओवर में 7 विकेट के नुकसान पर 359 बनाए, भारत के सामने जीत के लिए 360 का लक्ष्य रख दिया। उस जमाने में 300 का आंकड़ा छू लेना जीत की शत प्रतिशत गारंटी माना जाता था। यहां तो मामला 360 के रन चेज का था। भारत की उम्मीदों का सारा भार सिर्फ एक खिलाड़ी पर था, सचिन रमेश तेंदुलकर। हर क्रिकेट प्रेमी को मालूम था, अगर सचिन खेल जाएंगे तो भारत जीत जाएगा।

सहवाग की वजह से कई लोगों ने दोबारा अपने टीवी खोले

सचिन को ग्लेन मैक्ग्रा ने पहले ही ओवर में 4 के निजी स्कोर पर कॉट एंड बोल्ड कर दिया। जैसे ही कैच पकड़ा गया, आधे भारत में टेलीविजन सेट बंद हो गए। यहां से वीरेंद्र सहवाग एक छोर पर खड़े हुए। उस दिन सहवाग की वजह से कई लोगों ने दोबारा अपने टीवी खोले थे। जब तक वीरू मैदान पर थे, भारत टारगेट की तरफ बढ़ता नजर आ रहा था। 24वें ओवर की पांचवीं गेंद पर वीरेंद्र सहवाग दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से रन आउट हुए। भारत का स्कोर 23.5 ओवर में 4 विकेट के नुकसान पर 147 रन हो गया। वीरू ने 81 गेंद पर 10 चौकों और 3 छक्कों के साथ 82 रन बनाए। वीरेंद्र सहवाग निराशा कदमों से भारत की जीत की उम्मीद साथ लिए पवेलियन जा रहे थे।

सचिन तेंदुलकर को मैन ऑफ द टूर्नामेंट चुना

टीम इंडिया 50 ओवर में 9 विकेट के नुकसान पर 234 तक पहुंच सकी, 125 रन से मैच हार गई। सर्वाधिक 673 रन बनाने वाले सचिन तेंदुलकर को मैन ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया। अवॉर्ड कलेक्ट करते वक्त उनके चेहरे पर कोई खुशी नहीं थी। विराट कोहली 711 रन के साथ सिंगल वर्ल्ड कप एडिशन में सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज बन चुके हैं। उम्मीद है, वह वर्ल्ड कप ट्रॉफी के साथ बेस्ट प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट जीतेंगे।

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