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खेल की दुनिया के साथ मानवता का धर्म निभाता ये खिलाड़ी, जानिए सच्चाई

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ऑनलाईन गेंमिंग को किसी जमाने में बच्चों का खेल माना जाता था। जिसके कारण लोग ये भी कहते थे कि ‘पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब’। इस कहावत को आज के हुनरमंद युवाओं ने गलत साबित कर दिया है। उन्होंने ये साबित कर दिया कि जहां चाह वहां राह ही सफलता का मूलमंत्र है। हॉलैंड में जन्में एक ऐसी ही गेमर माइकल व्लाइकू उर्फ स्टारबीस्ट। जिनका जन्म बहुत ही गरीब परिवार में हुआ था। जिसके कारण उनका पूरा परिवार  आर्थिक तंगी से परेशान था। लेकिन इस खिलाड़ी ने हार नहीं मानी और अपने सपनों को पूरा करने में लग गए। इन्होंने महज 13 साल की उम्र में ही कंप्यूटर सीख लिया। फिर क्या था वो 13 साल की उम्र में ही RTS (रियल-टाइम स्ट्रैटेजी) खिलाड़ी भी बन गए।

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ब्लिजार्ड एंटरटेनमेंट जैसी कंपनी स्टारबीस्ट की कायल

हम सभी जानते हैं कि आज कल के गेमिंग के नए-नए फॉरमेट के पीछे आर्टिफिशियल इंटैलीजेंस यानी का सारा खेल होता है। आपको बता दें कि स्टारबीस्ट ने अपनी तकनीक से ब्लिजार्ड एंटरटेनमेंट जैसी कंपनी की (AI) तकनीक को भी पछाड़कर गेमिंग की दुनिया में अपना सिक्का जमा लिया है।

दुनिया के लिए प्रेरणा बने गेमर स्टारबीस्ट

इस खिलाड़ी ने गेमिंग की दुनिया के साथ-साथ लोगों की मदद करके भी लोगों का दिल जीत लिया है। उन्होंने कैंसर जैसी बीमारी से परेशान बच्चों के लिए पीडियाट्रिक ब्रेन ट्यूमर फाउंडेशन (PBTF) को फेसबुक पर चैरिटी स्ट्रीमिंग कर एक लाख डॉलर से ज्यादा पैसों का सहयोग किया। पूरी दुनिया में अब इस खिलाड़ी की तारीफ हो रही है। कैंसर पीड़ित बच्चों के इलाज़ पर बात करते हुए माइकल व्लाइकू ने ये भी कहा कि मैंने ओपन ब्रेन सर्जरी करवाई है, मैं उस दर्द से वाकिफ हूं।

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