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जन्म से नहीं दोनों हाथ, लेकिन अचूक है निशाना, देश के लिए ढेरों मेडल जीत रही हैं आर्चर शीतल देवी

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जुनून, मेहनत और हिम्मत की जीती-जागती मिसाल हैं जम्मू कश्मीर की शीतल देवी, जन्म से ही उनके दोनों हाथ नहीं हैं, वह दुनिया की पहली महिला आर्मलेस आर्चर हैं.. लेकिन अपने अचूक निशाने से 16 साल की यह एथलीट देश के लिए कई मेडल जीत चुकी हैं और हाल ही में हुई वर्ल्ड पैरा आर्चरी चैंपियनशिप में भी उन्होंने सिल्वर मेडल अपने नाम किया है।

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किश्तवाड़ जिले के लोही धार गाँव की रहने वाली शीतल एक गरीब परिवार से हैं, उनके पिता एक किसान हैं और माँ पशुपालन का काम करती हैं। शीतल ने जीवन में कभी अपनी दिव्यंगता को अपनी कमज़ोरी नहीं समझा, और यही वजह है कि उन्होंने इसे सफलता के आड़े भी नहीं आने दिया। वह कश्मीर में ही पली-बढ़ीं और करीब एक साल पहले ही उन्होंने तीरंदाजी सीखना शुरू किया था।

इतने कम समय में ही वह उस स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं जिसके बारे में लोग केवल सपना देख सकते हैं। शीतल कहती हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह तीरंदाजी कर सकती हैं लेकिन कोच कुलदीप कुमार ने उनकी इस सोच को बदल दिया और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।

खेल की शुरुआत आसान नहीं थी, लेकिन अपनी अकादमी में  मौजूद अन्य खिलाड़ियों को देखकर उनका हौसला बढ़ा और उन्होंने ट्रेनिंग शुरू की।  कुलदीप ने शीतल को दुनिया के पहले बिना हाथों वाले तीरंदाज अमेरिका के मैट स्टुट्जमैन के वीडियो दिखाना शुरू किया।

इससे उनको काफी मदद मिली। शीतल ने कड़ी मेहनत और ट्रेनिंग के बाद इसी साल चेक रिपब्लिक में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट खेला जिसमें दो सिल्वर और एक ब्रॉन्ज़ मेडल जीता। इसके बाद हाल ही में हुई पेरिस पैरालंपिक की क्वालिफाइंग विश्व चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल में पहुँचकर सिल्वर मेडल अपने नाम किया।

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