दशहरा रैली पर मचे सियासी महाभारत में कूदे शरद पवार, सीएम एकनाथ शिंदे को दी ये ‘सलाह’
दशहरा रैली को लेकर शिवसेना के ठाकरे-शिंदे गुटों ने शिवाजी पार्क स्थल को लेने के लिए आवेदन कर दिया है। ऐसे में दोनों पक्षों के बीच सियासी संघर्ष होना तय माना जा रहा है।अब इस विवाद में एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी एंट्री कर ली है। उन्होंने इस मामले में सीएम एकनाथ शिंदे को सलाह दी है। पवार ने शिंदे को संदेश देते हुए कहा, “टकराव से बचने का प्रयास करें और मिलनसार बनें।“
शरद पवार की नसीहत से छिड़ा सियासी संग्राम
माना जा रहा है कि पवार की ये नसीहत दशहरा रैली को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच मची खींचतान को लेकर हो रही है। सूत्रों की मानें तो उद्धव ठाकरे को शिवाजी पार्क में रैली आयोजित करने को लेकर कोई भी पर्मिशन नहीं मिली है।बता दें कि 60 के दशक में अस्तित्व में आने के बाद से ही शिवसेना मुंबई के शिवाजी पार्क में दशहरा रैली आयोजित करती आ रही है जिसके माध्यम से वो अपना शक्ति प्रदर्शन करती है।
शिवसेना के आए बुरे दिन?
महाराष्ट्र में शिवसेना के लिए बुरे दिन चल रहें हैं। एक तरफ एकनाथ शिंदे ने पार्टी में तोड़ करते हुए अपना अलग गुट बना भाजपा के साथ सरकार बना ली है तो वहीं उद्धव ठाकरे के करीबी और शिवसेना सांसद संजय राऊत पात्रा चौल घोटाला मामले में फिलहाल जेल में बंद है। शिवसेना पर हक की लड़ाई को लेकर शिंदे-ठाकरे सुप्रीम कोर्ट में आमने-सामने बने हुए हैं।
अब दशहरा रैली को लेकर मामला फंस गया है। रोचक बात ये है कि उद्धव ठाकरे गुट द्वारा शिवाजी पार्क के लिए आवेदन शिंदे गुट से पहले ही हो चुका है फिर भी उद्धव ठाकरे को रैली की अनुमति नहीं मिल सकी है।
इस बीच महाराष्ट्र के पूर्व सीएम शरद पवार ने शिंदे को सलाह देकर विवाद को नया मोड़ दे दिया है। शरद पवार ने सलाह देते हुए है, “एक व्यक्ति जो मुख्यमंत्री पद पर काबिज है, उन्हें यह सुनिश्चित करने का काम करना चाहिए कि कोई टकराव न हो।
उनका दृष्टिकोण समावेशी होना चाहिए। उस स्थिति में सभी को एक साथ ले जाना अच्छा काम करता है। कोई भी कहीं भी रैली कर सकता है, यह सुनिश्चित करने के लिए अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए कि कोई समस्या या टकराव न हो।”
पवार ने जोर देते हुए आगे कहा, “जब कोई व्यक्ति सीएम के जैसे उच्च संवैधानिक पद पर होता है, तो वह महाराष्ट्र के सभी लोगों का प्रतिनिधित्व करता है। उन्हें ऐसा कोई निर्णय लेते या कार्य करते हुए नहीं देखा जा सकता है जिससे दूसरों का विरोध हो।”
महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पवार को ‘पितामह’ के तौर पर जाना जाता है, जिनका विपक्षी दल ही नहीं बल्कि सत्ताधारी दल के लोग भी सम्मान करते हैं। महाविकास अघाड़ी सरकार बनाने में उनकी मुख्य भूमिका मानी जाती है।