जब भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने दी देश के लिए दी शहादत, जानें शहीद दिवस का महत्व

Shaheed Diwas 2025 :

जब भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने दी देश के लिए दी शहादत

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Shaheed Diwas 2025 : भारत के महान स्वतंत्रता सेनानियों में शामिल राजगुरु सुखदेव और भगत सिंह को आज के दिन फांसी की सजा दी गई थी। महान स्वतंत्रता सेनानियों ने हंसते-हंसते इस कुर्बानी को कुबूल किया था। बता दें कि आज इन तीनों महापुरुषों की शहादत को शहीद दिवस के रूप में जाना जाता है।

भारत की आजादी में भगत सिंह का योगदान भला कौन भूल सकता है। भारत में बच्चा-बच्चा भगत सिंह के बलिदान के बारे में जानता है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक भगत सिंह की आज पुण्यतिथि है। आज ही के दिन यानी 23 मार्च 1931 को उन्हें और उनके साथियों राजगुरु और सुखदेव को ब्रिटिश हुकूमत द्वारा फांसी दी गई थी। यह दिन आज भी भारत में शहीद दिवस के रूप में जाना जाता है क्योंकि इस दिन तीनों महान स्वतंत्रता सेनानियों ने देश के लिए प्राणों की आहुति दी थी।

राष्ट्रीय आंदोलन से प्रभावित थे

भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के लायलपुर (अब पाकिस्तान) में हुआ था। भगत सिंह बचपन से ही राष्ट्रीय आंदोलन से प्रभावित थे और उनके मन में अंग्रेजों के खिलाफ गहरी नफरत थी। भगत सिंह का मानना था कि स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए केवल अहिंसा का मार्ग नहीं बल्कि क्रांतिकारी गतिविधियां भी जरूरी हैं। भगत सिंह ने यह सिद्ध कर दिया कि यदि कोई देश अपनी स्वतंत्रता चाहता है तो उसे पूरी तरह से संघर्ष करना चाहिए। भगत सिंह की सबसे चर्चित घटना 1929 में दिल्ली विधानसभा में बम फेंकने की थी जिसका उद्देश्य केवल ध्यान आकर्षित करना था किसी की जान लेने का नहीं।

अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ

इसके बाद भगत सिंह पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए और उनके खिलाफ मुकदमा भी चला। भगत सिंह और उनके साथियों ने अदालत में अपनी बातें प्रकट करने का अवसर लिया और भगत सिंह ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ तीव्र विचार व्यक्त किए। भगत सिंह की शहादत ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी। भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु की फांसी ने युवाओं के दिलों में एक नई क्रांतिकारी भावना का संचार किया। भगत सिंह के बलिदान ने भारतीय लोगों को यह सिखाया कि स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए आत्मसमर्पण और बलिदान अनिवार्य हैं। आखिरकार तीनों महापुरुषों के बलिदान और आजादी के संघर्ष की वजह से 1947 में भारत अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ।

अपनी जान की कुर्बानी दी

बता दें कि 23 मार्च का दिन शहीद दिवस के रूप में इसलिए जाना जाता है क्योंकि इस दिन भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अपनी जान की कुर्बानी दी। यह दिन हमें याद दिलाता है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए केवल संघर्ष की आवश्यकता नहीं बल्कि साहस और बलिदान भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। हर साल इस दिन शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है और उनके संघर्ष को याद किया जाता है ताकि आने वाली पीढ़ियां उनकी शहादत से प्रेरित हो सकें।

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