Santal Tribe : भारत में निवास करने वाला सांथाल समुदाय, आधुनिक विकास के कारण कर रहे हैं चुनौतियों का सामना

सांथाल
Santal Tribe : भारत में बहुत सी जनजाति निवास करती है। इन जनजातियों में से सांथाल समुदाय प्रमुख है। यह समुदाय झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार और ओडिशा के कुछ हिस्सों में बसा हुआ है। हाल के कुछ वर्षों में सांथाल समुदाय के लोगों की शिक्षा और विकास के क्षेत्र में पहले से सुधार आया है। मगर अभी भी ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के सुधार के लिए सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं।
परंपराएँ
सांथाल समुदाय की संस्कृति, परंपराएँ और भाषा ही उनकी पहचान है। अन्य समुदायों की तरह सांथाल भी परंपरागत रूप से कृषि, शिकार और संग्रहण पर निर्भर रहता है। इनकी भाषा संताली है और सांथाल भाषा की अपनी ओल चिकी नाम की लिपि भी है। हर सांथाल गांव में मुखिया जिसे मुसाहा कहा जाता है, और पंचायत होती है। जो गांव के सभी मामलों को सुलझाने का काम करती हैं। उनका समाज सामुदायिक सहयोग और एकता पर आधारित है।
आधुनिक विकास
आज के समय में सांथाल जनजातियाँ आधुनिक विकास और वैश्वीकरण के आभाव और प्रभाव से गुजर रही हैं। उनके पारंपरिक जीवनशैली में परिवर्तन हो रहे हैं। हालांकि उनकी सांस्कृतिक धरोहर को बचाने लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए भी योजनाएं बनाई जा रहीं हैं।
संताली जीवनशैली
सांथाल का इतिहास उनकी आदिवासी जीवनशैली और सामाजिक संरचनाओं को दर्शाता है। इनकी जीवनशैली सादगी और स्वाभाविकता का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक अनुष्ठान और मान्यताएं प्रकृतिक तत्वों के प्रति गहरी श्रद्धा को दर्शाते हैं। वे सारो, सोलहा और सोनवारी जैसे त्योहारों मनाते हैं। जिनमें धमुक – नृत्य और झुमर – गीत शामिल होले हैं।
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