रूस हमारे लिए मूल्यवान कसौटी पर परखा हुआ साझेदार : जयशंकर

Moscow : भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत-रूस संबंध भूराजनीतिक वास्तविकताओं, रणनीतिक भागीदारी और पारस्परिक लाभ को दर्शाते हैं। जयशंकर ने यहां रूस के अपने समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ सार्थक बैठक की और इस दौरान उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्थिति और समसामयिक मुद्दों पर बात की।
किन मुद्दों पर हुई चर्चा?
रूस की 5 दिवसीय यात्रा पर आए जयशंकर ने लावरोव के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र, यूक्रेन संघर्ष, गाजा की स्थिति, अफगानिस्तान और मध्य एशिया, ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन, G-20 और संयुक्त राष्ट्र पर भी विचार-विमर्श किया। जयशंकर ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ एक व्यापक और उपयोगी बैठक हुई। रणनीतिक साझेदार के रूप में, अंतरराष्ट्रीय स्थिति और समसामयिक मुद्दों पर चर्चा की गई।
परामर्श प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए गए
उन्होंने द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग, ऊर्जा व्यापार, कनेक्टिविटी प्रयासों, सैन्य-तकनीकी सहयोग और दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क में हुई प्रगति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि 2024-28 की अवधि के लिए परामर्श प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए गए। भारत-रूस संबंध भू-राजनीतिक वास्तविकताओं, रणनीतिक भागीदारी और पारस्परिक लाभ को दर्शाते हैं। जयशंकर ने वार्ता के बाद लावरोव के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि हमारे लिए, रूस एक मूल्यवान साझेदार है, समय की कसौटी पर परखा हुआ साझेदार है।
भारत और रूस दोनों को काफी फायदा हुआ
यह एक ऐसा रिश्ता है जिससे भारत और रूस दोनों को काफी फायदा हुआ है। रूस, भारत और ईरान ने 2000 में उत्तर-दक्षिण मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर के निर्माण पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें भागीदारों की संख्या बढ़कर 14 हो गई है। परियोजना का लक्ष्य भारत, ईरान और फारस की खाड़ी के देशों से रूसी क्षेत्र के माध्यम से पारगमन माल ढुलाई को यूरोप तक लाना है। जयशंकर ने कहा कि हम इस तथ्य की सराहना करते हैं कि हमारा व्यापार अब तक के उच्चतम स्तर पर है।
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