Rishi Sunak: अपने कार्यकाल के सबसे खतरनाक दौर से गुजर रहे हैं ऋषि सुनक, पार्टी में फूट-साथी छोड़ रहे साथ..

भारतीय मूल के ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक इस समय कई चुनौतियों से गुजर रहे हैं। वर्तमान में वे अपनी पार्टी में विभाजित होने से बचने की कोशिश कर रहे हैं। ऋषि सुनक प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल का सबसे खतरनाक दौर पार कर रहे हैं। कोरोना नियमों के उल्लंघन का मुकदमा चलने के कारण बोरिस जॉनसन ने सत्ता छोड़ दी है। पार्टी नेता भी शरणार्थी विधेयक को अपनी नीतियों में शामिल करने पर सहमत नहीं हैं। नेताओं ने विपरीत रुख अपनाया है।
ऋषि सुनक के लिए चुनौती
इस वक्त ऋषि सुनक के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी नेताओं को सरकारी नीतियों पर सहमत करना है। वह ब्रिटेन में रह रहे शरणार्थियों को रवांडा भेजे जाने की नीति को बदलना चाहते हैं। ऋषि सुनक ने चुनाव प्रचार के दौरान ये वादे भी किए थे। ब्रिटेन की कंजर्वेटिव पार्टी की नीतियां शरणार्थी को कुछ हद तक समर्थन देती हैं क्योंकि वे एक महत्वपूर्ण मुद्दा हैं। एक साल पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे ऋषि सुनक अब कंजर्वेटिव पार्टी के नेता हैं। ऋषि सुनक को शरणार्थियों से संबंधित नियमों को पुनर्जीवित करने के मुद्दे पर पार्टी के अभिजात वर्ग और बाएं से दाएं सभी पार्टी नेताओं से विरोध मिल रहा है। पार्टी नेताओं ने यह भी चेतावनी दी है कि वे ऐसे कानूनों के खिलाफ मतदान करेंगे अगर वे संसद में पेश किए जाएंगे।
ब्रिटिश संसद में मतदान
मंगलवार 12 दिसंबर को ब्रिटिश संसद उस कानून पर पहली बार मतदान करेगी जो कुछ मानवाधिकार कानूनों को प्रभावित कर सकता है। इससे अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले रवांडा की पहली उड़ानों की अनुमति मिल जाएगी। पार्टी के कुछ उदारवादी नेता ऋषि सुनक की इस नीति का विरोध कर रहे हैं। ब्रिटेन ने मानवाधिकारों को तोड़ दिया है।साथ ही, उदारवादी नेता कहते हैं कि यह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का उल्लंघन होगा। दक्षिणपंथी नेता भी इसके विरोध में हैं।