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क्यों मनाते हैं जितिया व्रत ? जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा

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Jitiya Vrat 2023: मां की अपने बच्चों के लिए ममता असीमित है। कोख में सींचने से लेकर उसके बड़े होने तक मां हमेशा ही अपने बच्चों के लिए फिक्रमंद होती है। वह बच्चों की सलामती के लिए हरसंभव प्रयास करती रहती है। इन्ही प्रयासों में से एक है जितिया व्रत। यह व्रत मां के उन अनगिनत प्रयासों में से एक है, जो वह अपनी संतान की महफूज रखने के लिए करती है। आपमें से कई लोगों ने जितिया व्रत के दिन अपनी मां को सज-संवर के पूजा-पाठ करते और कहानियां सुनते देखा भी होगा। पर क्या आपने सोचा है की पूरे दिन भूखे-प्यासे रह कर मां के जितिया व्रत करने की असल वजह क्या है। क्या है इस व्रत के पीछे की कहानी? आज जितिया व्रत है और इस मौके पर हम आपको बताते है कि आखिर क्यों मनाते हैं ये जितिया व्रत।

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क्यों मनाते हैं जितिया व्रत?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत युद्ध के दौरान जब द्रोणाचार्य की मृत्यु हुई, तो इसका बदला लेने के लिए उनके पुत्र अश्वत्थामा ने क्रोध में आकर ब्रह्मास्त्र चला दिया, जिसकी वजह से अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत हो गई। तब भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा की संतान को फिर से जीवित कर दिया। बाद में उस बच्चे का नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया। कहते हैं कि तभी से अपनी संतान की लंबी आयु के लिए माताएं जितिया का व्रत करने लगीं।

व्रत के दिन पूजा-पाठ के दौरान ही मांए जितिया व्रत से संबंधित कथाएं भी सुनती है। जिसमें मां और उसके संतान के बीच के असीम प्रेम और त्याग की बात बताई गई होती है। आईए उनमें से ही मां के त्याग और समर्पण की कहानी हम आपको सुनाते है

जितिया व्रत से संबंधित चील-सियार की कहानी

प्रचलिए पौराणिक कथा के मुताबिक,  एक पेड़ पर चील और सियारिन रहती थीं। चील और सियारिन एक- एक दिन गांव की औरतें जितिया व्रत की तैयारी कर रही थीं। उन्हें देखकर चील का भी मन व्रत करने का कर गया। फिर चील ने सारा वाक्या सियारिन को जाकर सुनाया। तब दोनों ने तय किया कि वो भी जितिया का व्रत रखेंगी। लेकिन अगले दिन जब दोनों ने व्रत रखा तो सियारिन को भूख और प्यास दोनों लगने लगी। व्रत के दिन गांव में किसी की मृत्यु हो गई यह देखकर सियारिन के मुंह में पानी आ गया। फिर सियारिन ने अधजले शव को खाकर अपनी भूख को शांत किया। वह भूल गई उसने जितिया का व्रत रखा है।

वहीं, चील ने पूरी निष्ठा और मन से जितिया का व्रत और पारण किया। जिसका फल चील को अगले जन्म में मिला। उसे सात पुत्रों की प्राप्ति हुई। तो वहीं सियारीन के बच्चे पैदा होते ही मर जाते। तब चील ने सियारीन को पिछले जन्म की सारी बातें बताई और ये सब सुनकर सियारिन को अपनी गलती का पश्चाताप होने लगा। इसके बाद चील सियारिन को उसी पेड़ के पास ले गई और भगवान जीऊतवाहन की कृपा से उसे सारी बातें याद आ गई। इससे सियारिन इतनी दुखी हुई कि उसकी मौत उसी पेड़ के पास हो गई।

तो यह थी जितिया व्रत से संबंधित कहानी जो हर माताएं इस दिन को सुनती है। इन कहानियों से मांताओं को प्रेरणा मिलती है। जिससे वे पूरी निष्ठा के साथ इस व्रत को पूरा करती है और अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य और दिर्घायु होने की कामना करतीं हैं।

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