3 अप्रैल 2022 को चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर देवी दुर्गा के दूसरे स्वरूप माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। ब्रह्म शब्द का अर्थ तपस्या हैं। ब्रह्मचारिणी अर्थात तप की चारिणी-तप का आचरण करने वाली। इनका दूसरा नाम तपस्चारिणी भी है। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएं हाथ में कमंडल रहता है।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति को अपने कार्य में सदैव विजय प्राप्त होता है। नवरात्रि के द्वितीय दिवस पर विधि पूर्वक पूजा करने से मां ब्रह्मचारिणी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण कर जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करती हैं। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है।
अपने पूर्व जन्म में जब ये हिमालय के घर में पुत्री रूप में उत्पन्न हुई थीं तब नारद के उपदेश से इन्होने भगवान शंकर जी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए अत्यंत कठिन तपस्या की थी। इस दुष्कर तपस्या के कारण इन्हें तपस्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया। एक हज़ार वर्ष उन्होंने केवल फल, मूल खाकर व्यतीत किए और सौ वर्षों तक केवल शाक पर निर्वाह किया था। कई हजार वर्षों की इस कठिन तपस्या के कारण ब्रह्मचारिणी देवी का शरीर एकदम क्षीण हो उठा, उनकी यह दशा देखकर उनकी माता मेना अत्यंत दुखी हुई और उन्होंने उन्हें इस कठिन तपस्या से विरक्त करने के लिए आवाज दी ‘उ मा’। तब से देवी ब्रह्मचारिणी का एक नाम उमा भी पड़ गया।
उनकी इस तपस्या से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया। देवता,ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी देवी की इस तपस्या की सराहना करने लगे। अंत में पितामह ब्रह्मा जी ने आकाशवाणी के द्वारा उन्हें सम्बोधित करते हुए प्रसन्न स्वर में कहा-‘हे देवी! आज तक किसी ने ऐसी कठोर तपस्या नहीं की जैसी तुमने की हैं। तुम्हारे इस आलोक कृत्य की चारों ओर सराहना हो रही हैं। तुम्हारी मनोकामना अवश्य परिपूर्ण होगी। भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हे पति के रूप में प्राप्त अवश्य होंगे। अब तुम तपस्या से विरत होकर घर लौट जाओ शीघ्र ही तुम्हारे पिता तुम्हे बुलाने आ रहे हैं।
माता ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए सबसे पहले देवी को पंचामृत से स्नान कराएं, फिर अलग-अलग तरह के फूल, अक्षत, कुमकुम, सिन्दूर, अर्पित करें। देवी को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाएं। इसके अलावा कमल या गुड़हल का फूल भी देवी मां को चढ़ाएं। मिश्री या सफ़ेद मिठाई से मां का भोग लगाएं आरती करें एवं हाथों में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें।
माता ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए इन मंत्रों का जाप करने पर, आपका ज्ञान बढ़ेगा और सम्मान मिलेगा। आइऐ जानते है वो मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी.
सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते..
दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
Patna News: बिहार की राजधानी पटना में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है. यहां चार…
Gonda: कैसरगंज से मौजूदा बीजेपी सांसद का फिर बड़ा बयान सामने आया है. सांसद बृज…
PM Modi In Barabanki: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार 17 मई को यूपी के बाराबंकी…
Lucknow: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी…
Chardham Yatra: उत्तराखंड के चारधाम यात्रा में इन दिनों भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे…
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के चार चरणों की मतदान प्रक्रिया सम्पन्न हो चुकी है.…
This website uses cookies.