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Mahashivratri 2024: नंदी कैसे बने भोलेनाथ के सबसे बड़े भक्त? जानने के लिए पढ़िए पूरी ख़बर

How Nandi became the biggest devotee of Bholenath
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Mahashivratri 2024: 8 मार्च को शिवरात्रि मनाई जाएगी। पूरे देश में शिवरात्रि की जोरो-शोरों से तैयारियां चल रही है। भगवान भोलेनाथ की पूजा के दौरान शिव भक्त उनके सबसे प्रिय शिष्य नंदी की भी पूजा-अर्चना जरूर करते हैं। ऐसे में आपके मन में भी एक बार ही सही, पर ये सवाल जरूर आया होगा कि आखिर भोलेनाथ की पूजा के साथ-साथ नंदी की पूजा क्यों की जाती है।  आज हम आपको इस ख़बर में बताएंगी की आखिर नंदी भोलनाथ के सबसे बड़े भक्त कैसे बने।

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Mahashivratri 2024: क्या है कहानी?

ज्योतिषाचार्य की माने तो जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन किया गया था, तब उसमें से अमृत और विष निकला था। अमृत कलश तो देवताओं को दे दिया गया पर विष का कलश भगवान भोलेनाथ ने स्वयं रख लिया था और उस विष को शिव भगवान ने खुद पी लिया था। उन्होंने आगे बताया कि जिस वक्त भगवान भोलेनाथ विष का पान कर रहे थे, विष की कुछ बूंदे उससे टपक कर जमीन पर गिर गई थी।

Mahashivratri 2024: ये है कारण

इस दौरान नंदी ने अपने प्राण की चिंता न किए बगैर उस विष के बूंद को अपनी जीभ से चाट कर साफ कर दिया था। जिसके कारण भगवान भोलेनाथ ने उन्हें अपना सबसे प्रिय शिष्य मान लिया और उन्हें अपने वाहन के रूप में भी स्वीकार कर लिया।

क्यों कहते हैं नंदी के कान में मनोकामना ?

माना जाता है कि शिव जी अधिकतर समय तपस्या में लीन रहते हैं, उनकी तपस्या में विघ्न न पड़े इसलिए नंदी जी हमेशा उनकी सेवा में तैनात रहते हैं। जो भी भक्त् भगवान शिव के पास अपनी समस्या या मनोकामना लेकर आते हैं, नंदी उन्हें वहीं रोक लेते हैं।

शिवजी की तपस्या भंग न हो इसलिए नंदी भक्त्गणों की बात सुन लेते हैं और शिवजी तक पहुंचा देते हैं। यही वजह है कि लोग नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहते हैं। मान्यता है कि भगवान शिव ने नंदी को वरदान दिया था कि जो तुम्हारे कान में आकर अपने दिल की बात कहेगा, उस व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होंगी।

नंदी के कान में मनोकामना कहने के क्या है नियम ?

अपनी समस्या या मनोकामना कहने के कुछ नियम होते हैं और उनका पालन करना बहुत आवश्यक होता है।

  1. कोई भी मनोकामना कहने से पहले नंदी की पूजा अवश्य करें.
  2. नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपकी कही हुई बात कोई और न सुनें.
  3. अपनी बात इतनी धीमें कहें कि आपके पास खड़े व्यक्ति को भी उस बात का पता न लगे.
  4. अपनी बात नंदी के किसी भी कान में कही जा सकती है लेकिन बाएं कान में कहने का अधिक महत्व है.
  5. अपनी बात कहते समय अपने होंठों को अपने दोनों हाथों से ढंक लें ताकि कोई अन्य व्यक्ति उस बात को कहते हुए आपको न देखें.
  6. नंदी के कान में कभी भी किसी दूसरे की बुराई, दूसरे व्यक्ति का बुरा करने की बात न कहें.
  7. नंदी को अपनी मनोकामना बोलने के बाद उनके सामने कोई चीज भी भेंट करें। जैसे फल, धन या फिर प्रसाद
  8. मनोकामना बोलने के बाद बोलें कि ‘नंदी महाराज हमारी मनोकामना पूरी करो’.

अगर आप ऐसा करते है तो आपकी मनोकामना भगवान शिव तक पहुंच जाएगी और इसका फल आपको तुरंत प्रापत होगा ।

भगवान शिव के मंदिर के बाहर ही क्यों विराजते हैं नंदी

इसके भी कई कारण यह हैं। पहला ये कि नंदी अपने इष्ट को हमेशा अपने नेत्रों के सामने देखना चाहते हैं इसी कारण से वह हमेशा शिव जी के सामने बैठते हैं। वहीं मंदिर से बाहर या गर्भगृह से बाहर बैठने का कारण विवाह।

शिव जी विवाहित हैं। भले ही शिव मंदिर में भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती की प्रतिमा हो या न हो लेकिन अर्धनारेश्वर के रूप में वह हमेशा साथ ही हैं और एक दूसरे में समाए हुए हैं। इसी कारण से नंदी गर्भ गृह के अंदर या मंदिर के अंदर स्थापित नहीं हैं। क्योंकि नंदी जी के इष्ट के साथ नंदी जी की माता स्वरूप मां पार्वती भी विद्यमान हैं।

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