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Karva Chauth: जानिए क्यों करते हैं करवा चौथ का व्रत और क्या है पूजा का शुभ मुहुर्त

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पति पत्नि के बीच प्रेम का त्यौहार करवा चौथ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस साल 1 नवंबर को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन, विवाहित महिलाएं अपने पति के जीवन को सुरक्षित रखने और उनकी आयु को बढ़ाने के लिए कठोर उपवास करती हैं। महिलाएं अपना व्रत चंद्रमा के उदय होने और अर्घ्य देने के बाद ही पूर्ण करती हैं। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और राजस्थान आदि राज्यों में करवा चौथ मनाया जाता है। आइए जानें इस बार ये व्रत कब किया जाएगा और करवा चौथ पर आपके शहर में चांद कब निकलेगा। 

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पूजन विधि का शुभ मुहुर्त

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 31 अक्टूबर, मंगलवार की रात 09:30 मिनट से हो जायेगा और इसका समापन 1 नवंबर, बुधवार की रात 09:19 मिनट पर होगी।
चतुर्थी तिथि का चंद्रोदय 1 नवंबर को होगा, इसलिए इसी दिन करवा चौथ का व्रत किया जाएगा। करवा चौथ की पूजन विधि का शुभ मुहूर्त 1 नवंबर की शाम 5:36 मिनट से 06:54 मिनट तक है।
ऐसे में पूजा की अवधि 1 घंटा 18 मिनट होगी। अमृत काल बुधवार की शाम 7:34 मिनट से 9:13 मिनट तक है तो वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन और रात है।

क्यों करते हैं ये व्रत

करवा चौथ पर महिलाएं सुबह उठकर सरगी खाकर व्रत की शुरुआत करती हैं। तब महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को स्त्रियां दुल्हन की तरह 16 श्रृंगार कर पूजा करती हैं। उसने शाम को छलनी से चांद देखकर अपना व्रत खोलती हैं और पति की आरती उतारती हैं। मान्यता है कि माता पार्वती ने शिव के लिए, द्रौपदी ने पांडवों के लिए करवा चौथ का व्रत किया था। करवा चौथ व्रत की कृपा से स्त्रियां निरंतर सौभाग्यवती होती हैं। करवा माता वैवाहिक जीवन को खुशियों से भर देती हैं क्योंकि वे सदा उनके सुहाग को बचाती हैं।

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