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ब्रह्मा के हुआ करते थे पांच सिर, भगवान शिव ने काट दिया था पांचवा सिर, जानिये क्यों?

ब्रह्मा का पांचवां सिर
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हिंदू धर्म में कई रहस्य हैं। हिंदू पुराणों में ब्रह्मा को सृष्टि का रचनाकार बताया गया है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार धरती पर मौजूद पेड़-पौधे, जीवों सहित मनुष्य की रचना ब्रह्मा ने की है। उन्हें यह कार्य भगवान शिव ने दिया था। कहा जाता है कि सृष्टि की रचना के समय ब्रह्मा के पांच मुख थे। अपने मुख से वे सभी दिशाओं में देखा करते थे। किंतु तस्वीरों और विग्रह में ब्रह्म देव के चार मुख ही दर्शाए जाते हैं। क्या आपको ब्रह्मा के पांचवें सिर का रहस्य पता है? आइए आपको बताते हैं इस रहस्य के बारे में

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किवदंतियों के अनुसार

पौराणिक कथाओं में ब्रह्मा द्वारा ही सृष्टि की रचना बताई जाती है। कहा जाता है कि ब्रह्मा के 4 सिर हैं जो चार वेदों के प्रतीक हैं। ब्रह्मदेव का पांचवा सिर भी हुआ करता था। कहा जाता है कि जब ब्रह्मा ने सारी सृष्टि की रचना की। तब उन्होंने मानव विकास हेतु एक बेहद खूबसूरत स्त्री की रचना की। जिसे सतरूपा नाम दिया। यह ब्रह्मा की पुत्री कहलाई।

कहा जाता है कि सतरूपा इतनी सुंदर थीं कि ब्रह्मा उन्हें देखते ही उन पर मंत्रमुग्ध हो गए। ब्रह्मा सतरूपा को अपनाने के लिए उनकी ओर बढ़े। तब देवी सतरूपा उनसे बचने के लिए सभी दिशाओं की तरफ भागी। तब भी सतरूपा ब्रह्मा की नजर से नहीं बच सकीं। भगवान भोलेनाथ जी सब कुछ देख रहे थे।

शिव की दृष्टि में भी सतरूपा ब्रह्मा की पुत्री थीं। उन्हें भी ब्रह्मा का यह कृत्य पाप लगा। तब शिव ने अपने गण भैरव को प्रकट किया। भगवान भैरव ने प्रकट होकर ब्रह्मा का पांचवा सिर काट दिया। ताकि सतरूपा को ब्रह्मा की कुदृष्टि से सुरक्षित किया जा सके। जब ब्रह्म देव का पांचवा सिर कट गया, तब उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ। तबसे ब्रह्मा 4 सिर वाले हो गए। आज जहां कहीं भी ब्रम्हदेव का विग्रह दिखता है उसमें चार सिर ही दर्शाए जाते हैं।

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