केवल कुछ दिन साथ रह लेने से संबंध को लिव-इन रिलेशनशिप नहीं माना जा सकता- पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट

पंजाब हरियाणा कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि दो वयस्कों के केवल कुछ दिनों तक साथ रह लेने से ही नहीं माना जा सकता कि दोनों ‘लिव-इन’ रिलेशनशिप में हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, जस्टिस मनोज बजाज ने कहा है कि इस बात को हमेशा ध्यान में रखने की जरूरत है कि दोनों वयस्कों के संबंध कितने ज्यादा पुराने हैं।
इसके साथ ही ये भी ध्यान में रखना होगा कि दोनों एक दूसरे के प्रति जिम्मेदारियों और निश्चित कर्तव्यों को निभाते हो।
अगर ऐसी स्थितियां होती हैं तभी माना जा सकता है कि लिव-इन रिलेशन वैवाहिक संबंध जैसा है।
हाईकोर्ट ने 26 नवंबर को दिए अपने आदेश में कहा था कि महिला के परिजनों से सुरक्षा की मांग करने वाली याचिका को ख़ारिज कर दिया गया है। इसके साथ ही यदि याचिकाकर्ता इस संदर्भ में याचिका देता है, तो उस पर 25 हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया जाए।
सुरक्षा की चिंता वास्तविक नहीं
अदालत का मानना है कि सुरक्षा के मद्देनजर जताई गई चिंता वास्तविक नहीं लगती।
यह याचिका को हरियाणा के यमुनानगर ज़िले के एक जोड़े की ओर से दायर की गई थी। दोनों का कहना था कि वे दो दिन पहले से यानी कि 24 नवंबर से लिव-इन रिलेशनशइप में रह रहे थे।
क्या है ये मामला?
18 साल की लड़की और 20 साल के लड़के के वक़ील का कहना था कि दोनों एक-दूसरे को चाहते हैं और शादी की तय उम्र पूरी कर लेने पर शादी कर लेंगे।
असल में लड़की के माता-पिता दोनों के रिश्ते के खिलाफ हैं और उनकी पसंद के लड़के से लड़की की शादी करना चाहते थे। लेकिन लड़की अपने प्रेमी के साथ घर से भाग गई। उसके बाद से वो उस लड़के के साथ लिव-इन संबंध में रहने लगी।
इसके साथ ही याचिका में दावा किया गया कि उन्हें झूठे आपराधिक मामले में फंसाने की धमकी दी गई थी।इसलिए उन्होंने सरकार से सुरक्षा पाने के लिए अदालत से हस्तक्षेप की मांग की है।