RBI Deputy Governor: 2031 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है भारत
RBI Deputy Governor: भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास गाथा में एक नया अध्याय जुड़ने की संभावना है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा है कि भारत 2031 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। इतना ही नहीं, उन्होंने 2060 तक भारत के विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की क्षमता पर भी प्रकाश डाला है।
9 जुलाई को लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में दिए गए अपने भाषण में, पात्रा ने भारत की महत्वाकांक्षी आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में दृढ़ संकल्प को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “भारत की महत्वाकांक्षाओं और उसके संकल्प को देखते हुए, यह कल्पना करना संभव है कि भारत अगले दशक में आगे निकल जाएगा।”
RBI Deputy Governor: 9.6% वार्षिक वृद्धि दर से विकसित राष्ट्र बनने की संभावना
पात्रा ने आगे बताया कि अगर भारत अगले दस वर्षों में 9.6% की वार्षिक वृद्धि दर हासिल करता है, तो वह निचले मध्यम वर्ग की आय के जाल को तोड़कर एक विकसित देश बन सकता है। इस आर्थिक विकास का सकारात्मक प्रभाव प्रति व्यक्ति आय में भी दिखाई देगा। हालांकि, 2047 तक विकसित देश का दर्जा हासिल करने के लिए प्रति व्यक्ति आय को 34,000 अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹28 लाख) तक पहुंचाना होगा।
मैक्रोइकॉनॉमिक नीति और वित्तीय स्थिरता सकारात्मक दिशा में
डिप्टी गवर्नर ने यह भी बताया कि भारतीय रुपये को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत बनाने के लिए मैक्रोइकॉनॉमिक नीति और वित्तीय स्थिरता सकारात्मक दिशा में अग्रसर हैं। उन्होंने कहा, “भारत में महंगाई दर को वैश्विक महंगाई दर के अनुरूप लाने की आवश्यकता है, ताकि रुपये के आंतरिक और बाहरी मूल्य को संरक्षित किया जा सके। इससे रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण का मार्ग प्रशस्त होगा और भारत आने वाले कल में विश्व के आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरेगा।”
मौद्रिक नीति के कारण महंगाई दर नियंत्रण में
पात्रा ने यह भी बताया कि मौद्रिक नीति और आपूर्ति संबंधी उपायों के कारण महंगाई दर 4% के निर्धारित लक्ष्य के आसपास आ गई है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2024-25 में महंगाई दर 4.5% और वित्त वर्ष 2025-26 में 4.1% रहने का अनुमान लगाया है।
यह घोषणा भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। हालांकि, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर आर्थिक सुधारों और नीतिगत उपायों की आवश्यकता होगी।