Rajya Sabha : विपक्ष किरेन रिजिजू के खिलाफ लाया विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव, 60 सांसदों ने किए हस्ताक्षर
Rajya Sabha : सागरिका घोष ने कहा कि ‘किरेन रिजिजू ने विपक्षी सदस्यों का अपमान किया है और संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह विपक्षी सांसदों के खिलाफ व्यक्तिगत शब्दों का इस्तेमाल किया है।
तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा सांसद सागरिका घोष ने गुरुवार को संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश किया। उच्च सदन में विपक्षी नेताओं के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में यह विशेषाधिकार प्रस्ताव लाया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस विशेषाधिकार प्रस्ताव को 60 विपक्षी नेताओं का समर्थन मिला है और इन विपक्षी सांसदों ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं।
सदन में रहने के योग्य नहीं
टीएमसी सांसद सागरिका घोष ने कहा कि ‘कल सदन में विपक्ष को संबोधित करते हुए किरेन रिजिजू ने कहा कि आप सभी इस सदन में रहने के योग्य नहीं हैं। संसदीय कार्य मंत्री को संसद को सुचारू रूप से चलाने पर फोकस करना चाहिए, लेकिन वे इसके बजाय बार-बार विपक्ष का अपमान कर रहे हैं। सागरिका घोष ने कहा कि ‘किरेन रिजिजू ने विपक्षी सदस्यों का अपमान किया है और संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह विपक्षी सांसदों के खिलाफ व्यक्तिगत शब्दों का इस्तेमाल किया है। यह पूरी तरह से अनुचित है और वे अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं।
अविश्वास प्रस्ताव पेश किया
विपक्षी सांसद ने उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। जिस पर बुधवार को प्रतिक्रिया देते हुए संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्षी सासंदों पर निशाना साधा और कहा कि विपक्षी सांसद सदन में रहने के योग्य नहीं हैं। रिजिजू ने कहा कि ‘यदि आप कुर्सी का सम्मान नहीं कर सकते हैं तो आपको इस सदन का सदस्य होने का कोई अधिकार नहीं है। विपक्षी इंडी गठबंधन के 60 सांसदों ने मंगलवार को धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव में विपक्ष ने धनखड़ पर उच्च सदन के अध्यक्ष के रूप में अपनी भूमिका में ‘बेहद पक्षपातपूर्ण’ होने का आरोप लगाया।
कर्तव्यों का ठीक से पालन कर सकें
संसद सदस्यों को व्यक्तिगत व सामूहिक रूप से कुछ विशेषाधिकार दिए जाते हैं ताकि वे अपने कर्तव्यों का ठीक से पालन कर सकें। लेकिन अगर कोई भी सदस्य इन विशेषाधिकारों या अधिकारों की अवहेलना करता है या उनका दुरुपयोग करता है, तो इसे विशेषाधिकार का उल्लंघन माना जाता है और संसदीय कानूनों के तहत दंडनीय माना जाता है। यह प्रस्ताव लोक सभा और राज्य सभा दोनों सदनों के सदस्यों के लिए लागू है और अगर किसी सदस्य को लगता है कि किसी अन्य सदस्य ने इनका उल्लंघन किया है, तो वे आरोपी सदस्य के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव ला सकते हैं।
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