Ayodhya Land Deal: अयोध्या ‘जमीन घोटाले’ पर कांग्रेस ने बीजेपी को घेरा, विधायक, आयुक्त, एसडीएम पर धांधली के आरोप

Ayodhya Land Deal: अयोध्या ‘जमीन घोटाले’ पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार पर आरोप लगाया है। पार्टी कार्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए प्रियंका ने अयोध्या के जमीन घोटाले (Ayodhya Land Deal) पर बीजेपी को घेरा। प्रियंका ने कहा कि राम मंदिर के नाम पर अनगिनत लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ हुआ है।
प्रियंका ने आगे कहा, दलितों की भूमि पर कब्जा करने के साथ ही कम कीमत में जमीन पर खरीदी गई और महंगे कीमत में ट्रस्ट को बेच दी गई। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में जांच को कहा है, इसमें जांच ज़िलाधिकारी स्तर के अधिकारी कर रहे हैं। ट्रस्ट सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनाया गया था, इसलिए जांच भी सुप्रीम कोर्ट के स्तर पर की जानी चाहिए।
गुरुवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी अयोध्या जमीन घोटाले को लेकर कहा कि इसकी जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए। पत्रकारों से बातचीत के दौरान ही मायावती ने कहा, भाजपा-कांग्रेस मतदाताओं को घोषणापत्र दिखा के ठग रही है।
बसपा के पार्टी मुख्यालय में मायावती ने कहा कि भाजपा और सपा चुनावी फायदे के लिए हिंदू-मुसलमान करती है। इस दौरान उन्होंने पार्टी के नेताओं को निर्देंश दिए कि वे घर-घर जाकर विपक्षी पार्टियों के इस साजिश का खुलासा करें।
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क्या है Ayodhya Land Deal?
मामले को समझने से पहले एक नियम को जान लें।
उत्तर प्रदेश रेवेन्यू कोड रूल्स के मुताबिक किसी भी दलित की जमीन को कोई भी ग़ैर दलित ज़िला मजिस्ट्रेट की के अनुमति से पहले नहीं खरीद सकता।
अब मामले को ऐसे समझे कि नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्म भूमि और बाबरी मस्जिद विवाद में ऐतिहासिक फैसला दिया। फैसले के बाद कई बड़े समेत कई नेताओं ने जमीन खरीदने में धांधली की।
इंडियन एक्सप्रेस ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि रामजन्म भूमि विवाद में उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद विधायक, आयुक्त, महापौर, एसडीएम और डीआईजी के रिश्तेदारों ने अयोध्या में जमीन खरीदी। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एक दर्जन दलितों से यह ज़मीन खरीदी गई।
महर्षि योगी की संस्था महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट (एमआरवीटी) ने पर आरोप है कि ये संस्था दलितों से जमीन खरीद कर रसूखदार लोगों को जमीन बेच चुकी है।
दरअसल महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट(एमआरवीटी) का एक दलित कर्मचारी इस घोटाले का केंद्र रहा। ट्रस्ट के दलित कर्मचारी का नाम ‘रोंगहाई’ है। रोंगहाई पर आरोप है कि इसने महादेव नाम के एक दलित से तीन बीघा जमीन 1.02 लाख रुपये में खरीदी और ट्रस्ट को दान में दे दिया। जबकि उस समय उस जमीन की कीमत तकरीबन 8-9 करोड़ रुपये थी। फिर ट्रस्ट ने उस जमीन को किसी और को बेच दी।
जमीन के मूल मालिक महादेव ने अदालत में शिकायत की। शिकायत के बाद ज़िला मजिस्ट्रेट ने आदेश में बताया कि यह जमीन की खरीद अवैध थी और एमआरवीटी को दिया गया दान पत्र भी गलत था। इसके साथ ही इस सौदे को रद्द कर दिया गया और महादेव को उसकी जमीन लौटाने को कहा गया।
अब सवाल ये है कि ट्रस्ट से जमीन खरीदी किसने?
दरअसल ट्रस्ट ने जमीन के कई हिस्सों की खरीद बिक्री की थी। जमीन की खरीद में अयोध्या के गोसाईंगंज से विधायक इंद्र प्रताप तिवारी ने 2593 वर्ग मीटर जमीन खरीदी। पुरुषोत्तम दास गुप्ता जो मुख्य राजस्व अधिकारी के तौर पर नियुक्त थे, उनके रिश्तेदारों ने भी 1130 वर्ग मीटर की जमीन ट्रस्ट से खरीदी। दीपक कुमार (आईजी) के रिश्तेदारों ने भी 1020 वर्ग मीटर की ज़मीन खरीद ली। जब ये मामला चर्चा में आया तब सरकार की तरफ से जांच के आदेश दिए गए हैं।