प्रधानमंत्री सीरीज: इंद्र कुमार गुजराल कैसे बने देश के प्रधानमंत्री?

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इंद्र कुमार गुजराल भारत को प्रधानमंत्री के रूप में आकस्मिक रूप से मिले। लेकिन एचडी देवगोड़ा की तरह ही बतौर प्रधानमंत्री इंदर कुमार गुजराल का कार्यकाल भी संक्षिप्त ही रहा।

इंद्र कुमार गुजराल
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भारत के प्रधानमंत्री रहे चंद्रशेखर, चौधरी चरण सिंह व एचडी देवगोड़ा की तरह ही बतौर प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल का कार्यकाल भी संक्षिप्त ही रहा। 1933 में अविभाजित भारत में जन्मे इंद्र कुमार गुजराल ने अप्रैल 1997 में देश के 12वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। दिलचस्प ये है कि जब प्रधानमंत्री पद के लिए उनके नाम का निर्णय हुआ तो उस वक्त वो सो रहे थे।

इंद्र कुमार गुजराल भारत को प्रधानमंत्री के रूप में आकस्मिक रूप से मिले। अप्रैल 1997 में कांग्रेस ने एच.डी.देवेगौड़ा सरकार से जब समर्थन वापस लेने की धमकियां देनी शुरू कीं। सो कांग्रेस की इच्छा पर देवेगौड़ा की बलि चढ़ा कर गुजराल को प्रधानमंत्री पद का दायित्व सौंपा दिया गया।

1 लाख 70 हजार भारतीयों को कराया था ‘एयरलिफ्ट’

गुजराल वीपी सिंह और चंद्रशेखर सरकारों में विदेश मंत्री रहे थे। गुजराल के विदेश मंत्री रहने के दौरान ही इराक और कुवैत के बीच खाड़ी युद्ध भड़क उठा था। जिसमें उन्होंने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई। उन्होंने उस क्षेत्र में फंसे 1 लाख 70 हजार भारतीयों को हवाई जहाजों द्वारा सुरक्षित देश तक लाने की सफलता पाई। एक बार में इतने सारे लोगों को एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित करना एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी।  ये दुनिया का सबसे बड़ा ऑपरेशन माना जाता है। आइए अब जानते हैं इंद्र कुमार गुजराल के पीएम बनने की पूरी कहानी।

मुलायम नहीं चाहते थे इंद्र कुमार गुजराल को पीएम बनाना

1997 में इंद्र कुमार गुजराल देश के 12वें प्रधानमंत्री बने थे। उस समय केंद्र में गठबंधन सरकारों का दौर था और गुजराल से पहले एचडी देवगौड़ा के नेतृत्व में गठबंधन सरकार चल रही थी। लेकिन कुछ ही समय में कांग्रेस के अध्यक्ष सीताराम केसरी बने और उन्होंने अचानक सपोर्ट वापस ले लिया और सरकार गिर गई।

इसके बाद अगले प्रधानमंत्री के लिए कई नामों पर चर्चा शुरू हो गई। लालू ने ही इंद्र कुमार गुजराल का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए आगे बढ़ाया। जब इंद्र कुमार गुजराल को पीएम बनाने की बात उठी तो उसपर कम लोगों की असहमति थी। मुलायम सिंह उसमें से एक थे जो गुजराल को पीएम नहीं बनाना चाहते थे। वैसे तो प्रधानमंत्री पद की रेस में लालू प्रसाद यादव, जीके मूपनार और मुलायम सिंह सहित कई बड़े नाम शामिल थे। लेकिन इनकी परेशानी ये थी कि ये आपस में ही एक दूसरे के विरोधी थे।

गुजराल को नींद से जगा कर बोला गया था- उठिए, आपको प्रधानमंत्री बनना है

देखा जाएं तो मुलायम सिंह यादव बड़े नेता था और वो यूपी से काफी सीटें जीतकर आए थे। सरकार में रक्षा मंत्री भी थे। वहीं मुलायम सिंह यादव के नाम पर सहमति नहीं बन पा रही थी। सबसे बड़ी बात तो ये दोनों खुद एक-दूसरे के घोर विरोधी थे। यही वजह थी कि कोई कद्दावर नेता पीएम पद का दावेदार नहीं बन पाया।

बताया जाता है जब गुजराल के पीएम पद के लिए सहमति बन रही थी, तब बैठक के समय गुजराल अपने घर पर सो रहे थे। गठबंधन के नेता उनके घर पहुंचे और गुजराल को जगाकर बोले- उठिए, अब आपको प्रधानमंत्री बनना है। ये सुनते ही गुजराल ने खुश होकर उसे गले लगा लिया। इस तरह गुजराल ने 21 अप्रैल 1997 को देश के 12वें प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।

लेकिन अपनी परंपरा के अनुसार कांग्रेस ने ये सरकार भी ज्यादा दिनों तक चलने नहीं दी। नतीजन करीब 11 महीनों बाद कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस ले लिया और गुजराल सरकार गिर गई। गुजराल 19 मार्च 1998 तक पीएम पद पर रहे थे।