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सदन में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के आंसुओं से झलकी उनके दर्द की कहानी

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महाराष्ट्र सरकार के नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आज विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के बाद हुए भाषण में कुछ ऐसा बोला कि पूरे सदन की आवोहवा ही बदल गई। उनहोंने कहा कि मेरे संघर्ष की कहानी को राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले कभी नहीं समझ पाएंगे। शिंदे ने इस भाषण में अपने बच्चों का जिक्र करते हुए कहा कि जब मैं ठाणे में शिवसेना पार्षद के रूप में महाराष्ट्र की सेवा करता था, उसी दौरान मैंने अपने 2 बच्चों को खो दिया था। उस वक्त तो मैं सोच रहा था कि मेरा सब कुछ खत्म हो गया है। इसी कड़ी में उन्होंने ये भी कहा कि मैं उस वक्त टूट गया था।

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लेकिन मेरे राजनीतिक गुरु आनंद दीघे साहब ने मुझे राजनीति में बने रहने के लिए मना लिया। आपको बता दें कि उन्होंने ही पहली बार मुझे बाला साहेब ठाकरे से मिलवाया था। इसी दौरान एकनाथ शिंदे ने बताया कि मेरे इस राजनीतिक सफर की शुरूआत भी इन्हीं दोनों लोगों की वजह से मुमकिन हो पाई थी।

एकनाथ शिंदे ने सदन में बयां कि संघर्ष की दासतान

विश्वासमत जीतने के बाद विधानसभा के अपने पहले भाषण में सीएम एकनाथ शिंदे ने बताया कि “मेरे साथ जो भी कुछ हुआ ये आप सब जानते हैं”। विधान परिषद के पहले मुझे एक दिन बालासाहेब और आनंद दीघे की वो बातें याद आई कि अगर आदर्श को जीवंत रखना है तो द्रोही बनो। इन्हीं बातों को मैंने गुरूमंत्र मानते हुए लोगों को फोन लगाया और लोग मेरे साथ आ गए। इसी के साथ मैं निकल गया अपनी मंजिल की तरफ कई रुकावटें आई लेकिन मैंने हार नहीं मानी।

इतना ही नहीं बल्कि लोगों ने मेरे घर से लेकर दफ्तर तक पत्थर फेंके लेकिन मैं रुका नहीं। मेरे लोग मेरे साथ आने लगे वक्त बीता और मैंने अपने लोगों का भरोसा मुझपर बढ़ता गया। इसी के साथ उन्होंने भाषण की आखरी कड़ी में कहा कि एक दिन में ये सब नहीं हुआ। ये मुमकिन तब हो पाया जब मेरे सभी 40 लोग मेरे साथ रहे, तब जाकर ये सरकार अस्तित्व में आई है।

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