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डेरेक ओ’ब्रायन की ‘पापड़ी-चाट’ वाली टिप्पणी से नाराज़ हैं PM, बीजेपी संसदीय दल की बैठक में विपक्ष पर जमकर बरसे

BJP Parliamentary Party meeting

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मॉनसून सत्र में चले आ रहे हंगामे को लेकर विपक्ष पर हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया है कि वो अपने व्यवहार से सदन और संविधान का अपमान कर रहा हैं।

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वो मंगलवार को दिल्ली में बीजेपी संसदीय दल की बैठक में विपक्ष पर जमकर बरसे। गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत पार्टी के कई बड़े नेता इस बैठक में मौजूद थे।

बैठक के दौरान प्रधानमंत्री के भाषण के हवाले से जानकारी देते हुए संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि PM ने कुछ विपक्षी सदस्यों के बर्ताव पर गहरी नाराज़गी जताई है।

इस साल मॉनसून सत्र के दौरान विपक्ष लगातार कई मामलों में सरकार को घेर रहा है। विपक्ष ने पेगासस, कृषि बिल, कोरोना के दौरान ऑक्सीजन की कमी, बेरोज़गारी जैसी स्थिति को लेकर सत्र में जमकर हंगामा किया है, जिसके चलते कई बार सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा।

राज्यसभा में सभापति के सामने तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद ने पेगासस मामले पर आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के बयान का पन्ना फाड़ कर उड़ा दिया था।

वहीं लोकसभा में भी कई विपक्षी सांसदों ने काग़ज़ों को फाड़कर हवा में, अध्यक्ष के आसन की ओर उछाला था।

पार्टी संसदीय समिति की बैठक के बाद प्रधानमंत्री के भाषण की जानकारी देते हुए प्रह्लाद जोशी और विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने तृणमूल सांसद डेरेक ओ’ब्रायन का नाम लिए बिना कहा कि तृणमूल नेता के एक ट्वीट पर भी मोदी ने कड़ी नाराज़गी व्यक्त की है।

डेरेक ओ’ब्रायन का ट्वीट

दरअसल, डेरेक ओ’ब्रायन ने एक ट्वीट में लिखा था, “पिछले 10 दिनों में मोदी-शाह ने मिलकर सात मिनट प्रति विधेयक की औसत रफ़्तार से 12 विधेयक पारित कर दिए हैं। ये विधेयक पास किए जा रहे हैं या फिर पापड़ी चाट बन बन रहा है।”

मुरलीधरन के मुताबिक मोदी ने कहा कि ऐसे बयान संसदीय कार्यवाही और निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए “अपमानजनक” हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर भी जोर देते हुए कहा कि विपक्ष का ऐसा व्यवहार संसद और संविधान का “अपमान” हैं।

वहीं प्रह्लाद जोशी ने कहा, “प्रधानमंत्री ने आज बैठक में कहा कि हम शुरू से कह रहे हैं कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं। लेकिन एक माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है कि बिल सरकार के हैं, और सरकार बातचीत के पक्ष में नहीं है। ये गलत है क्योंकि बिल गरीब लोगों के कल्याण के​ लिए हैं। पीएम की इच्छा है कि सार्थक और समृद्ध वार्ता होनी चाहिए।”

मॉनसून सत्र के पहले दिन से ही विपक्ष लगातार पेगासस जासूसी मामले पर चर्चा की मांग कर रहा है जिसके कारण सदन का कार्य एक दिन भी सुचारू रूप से नहीं चल सका है।

उधर सरकार मामले को मनगढ़ंत बताकर ख़ारिज कर चुकी है।

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