शाह को मनोज झा का जवाब.. ‘कर लें नेहरू पर बहस.. फिर दूध का दूध और….’
Nehru Statement Controversy: बुधवार को लोकसभा में जम्मू और कश्मीर पर दो विधयकों पर बहस के दौरान गृहमंत्री अमित शाह (Union HM Amit Shah) ने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (Jawahar Lal Nehru) ने कश्मीर को लेकर दो बड़ी गलतियां की- पहली तो उन्होंने पूरे कश्मीर को जीते बिना युद्ध विराम (Ceasefire) कर दिया और दूसरा- कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में ले गए.
अमित शाह के इस बयान पर विपक्षी पार्टियां उनकी जमकर आलोचना कर रही हैं, कांग्रेस ने कहा है कि ये बयान जानबूझ कर बोला गया झूठ है.
शाह के है कम जानकारी- मनोज झा
आरजेडी के सांसद मनोज झा ने कहा, “जिस व्यक्ति को जानकारी कम होती है, कम पढ़े-लिखे होते हैं और जानकारी जुटाने की जिजीविषा भी ना हो. जिनकी पूरी ट्रेनिंग संघ के चवन्नी छाप किताब में हो. वो इससे ज्यादा क्या बोल सकते हैं. आप श्यामा प्रसाद मुखर्जी की चिट्ठियों को पढ़िए, महादेव देसाई की किताब के आखिरी फ़ेज़ को पढ़िए, आपको सब पता चल जाएगा.”
“अगर आपको नेहरू का ही इतना ही ख़ौफ़ है तो एक जवाहरलाल नेहरू मंत्रालय बनाइए और दूसरा काम ये करें कि जवाहरलाल नेहरू पर 12 घंटे की बहस कर लें, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. हम दूध के साथ होंगे और आपके हाथ में सिर्फ़ पानी होगा.”
कांग्रेस ने भी अमित शाह का के इस बयान पर जवाब देते हुए कहा है कि ये बयान “जानबूझकर उकसाने वाला और बिल्कुल झूठा” है.
Nehru Statement Controversy: वॉर ऑफ डिप्लोमेसी पढ़ें शाह- जयराम रमेश
कांग्रस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा कि अमित शाह के दफ़्तर को उन्हें चंद्रशेखर दासगुप्ता की किताब- ‘वॉर एंड डिप्लोमेसी इन कश्मीर’ पढ़नी चाहिए. इस किताब में कई झूठ को उजागर किया गया है.
लोकसभा में बुधवार को जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक को लेकर हो रही बहस के दौरान अमित शाह ये नेहरू को लेकर ये बयान दिया.
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उन्होंने कहा, “दो बड़ी ग़लतियां (पूर्व पीएम) पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री काल में उनके लिए हुए निर्णयों से हुईं, जिसके कारण कश्मीर को कई वर्षों तक नुकसान उठाना पड़ा.”
“पहला है, जब हमारी सेना जीत रही थी तब युद्धविराम की घोषणा करना. सीज़फायर लगाया गया, अगर तीन दिन बाद सीज़फायर होता तो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर आज भारत का हिस्सा होता. दूसरा है अपने आंतरिक मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाना.”