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‘पार्टी में आना-जाना आसान लेकिन टिकना मुश्किल….” अधीर रंजन चौधरी का आजाद पर जुबानी वार

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रामलीला मैदान से हल्ला बोलते हुए कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने पार्टी से छोड़कर जाने वालों पर खूब शब्दों के अंगारे बरसे। कांग्रेस की ‘महंगाई पर हल्‍ला बोल’ रैली में चौधरी ने गुलाम नबी आजाद का नाम तो नहीं लिया मगर उनपर वार खूब किए। चौधरी ने कहा कि ‘कांग्रेस पार्टी में आना आसान है, कांग्रेस पार्टी से जाना आसान है लेकिन कांग्रेस पार्टी में टिके रहना सबसे कठिन है।’ लोकसभा में पार्टी के नेता ने राहुल गांधी की मौजूदगी में कहा, ‘आज जो सिपाही आए हैं, वे पद के लालच में रैली में नहीं आए हैं।’

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चौधरी ने कहा, ‘जिंदगी में कितने दोस्‍त आए और कितने बिखर गए, कोई दो रोज के लिए, किसी ने दो कदम चलते ही हाथ जोड़ लिए… पर जिंदगी का दूसरा नाम है दरिया… वो तो बस बहता रहेगा चाहे रास्‍ते पर फूल गिरें या पत्‍थर…। कांग्रेस एक दरिया है।’ आजाद ने कुछ दिन पहले पार्टी नेतृत्‍व से नाराजगी जाहिर करते हुए कांग्रेस छोड़ दी थी।

गुलाम नबी आजाद ने अधीर रंजन पर किए पलटवार

उधर, जम्‍मू में कांग्रेस पर पलटवार करते हुए गुलाम नबी आजाद ने भी कसर बाकी नहीं रखी। आजाद ने कहा कि मेरे अलग पार्टी बनाने से कांग्रेस बौखला गई है। उन्‍होंने कहा कि ‘मेरे खिलाफ अफवाह फैलाई जा रही है, कांग्रेस अब ट्विटर तक सिमट गई है।’ वहीं कांग्रेस ने रैली के दौरान रामलीला मैदान में केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ ‘महंगाई पर हल्ला बोल’ किया वहीं मैदान में कुछ कार्यकर्ता हाथ में राहुल गांधी का पोस्टर लिए हुए नजर आए जिसमें की लिखा हुआ था – ‘वी वांट राहुल गांधी एज प्रेजिडेंट।’

कांग्रेस ने युवाओं के रोजगार को लेकर बीजेपी पर फोड़ा ठीकरा

कांग्रेस ने अपनी हल्ला बोल रैली में युवाओं के रोजगार को लेकर बीजेपी पर ठीकरा फोड़ते हुए कहा कि जिन युवाओं ने बी फार्मा की डिग्री ली है, हाथों में पकौड़े लेकर कह रहे हैं कि युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा। खाने की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं और प्रधानमंत्री कहते हैं पकौड़े बेचो इसलिए आज हमने इस रैली से युवाओं की आवाज उठाई है। वहीं रैली शुरू होने से पहले राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘राजा मित्रों की कमाई में व्यस्त, प्रजा महंगाई से त्रस्त, आज लोगों को जरूरत का सामान खरीदने से पहले भी दस बार सोचना पड़ रहा है। इन तकलीफों के लिए सिर्फ प्रधानमंत्री जिम्मेदार हैं। हम महंगाई के खिलाफ आवाजें जोड़ते जाएंगे, राजा को सुनना ही पड़ेगा।’

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