Places of Worship Act : सुप्रीम कोर्ट में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट पर हुई सुनवाई, केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा

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Places of Worship Act : आज प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से 4 हफ्तों में जवाब दाखिल करने को कहा है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा है कि जब तक हम इस केस को सुन रहे हैं, तब तक देशभर में इस तरह के नए मामले नहीं सुने जाएंगे। आगे कोर्ट कहा कि ज्ञानवापी, संभल जैसे मामलों में सुनवाई तो चलती रहेगी, लेकिन उस पर कोर्ट अभी कोई फैसला नहीं देंगे।

कोर्ट ने कहा कि हम केंद्र के जवाब के बिना फैसला नहीं कर पाएंगे। हम केंद्र सरकार का इस मामले में पक्ष जानना चाहते हैं। केंद्र के जवाब दाखिल करने के बाद जिन्हें जवाब दाखिल करना हो, वो चार हफ्ते में जवाब दाखिल कर सकते है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप जवाब दाखिल कर के सभी को अपनी कॉपी की प्रति याचिकाकर्ताओं को दें। अब कोई दूसरा शूट नहीं दाखिल होगा। कई सारे सवाल उठाए गए है। हम उस सभी पर सुनवाई करेंगे। दो शूट पहले ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। मथुरा मामला हमारे पास लंबित है।

इसके खिलाफ याचिकाएं

आपको बता दें कि इसके साथ ही इन याचिकाओं में है कि जैन, सिख और बौद्ध को अधिकार नहीं देता है। कोई भी नागरिक का संवैधानिक अधिकार है कि कोर्ट में किसी भी मामले को ले जाए। इससे उलट प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट यह अधिकार नहीं देता है।

इसके पक्ष में याचिकाएं

दरअसल, प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के समर्थन में कई याचिकाएं हैं। इसमें 2020 में सुन्नी मुस्लिम उलेमाओं के संगठन जमीयत उलेमा ए हिंद ने याचिका दाखिल की थी। कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर टिप्पणी की थी। इन याचिकाओं पर सुनवाई नहीं हो।

क्या है प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट ?

जानकारी के लिए बता दें कि 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट की बात करें तो धार्मिक स्थल 1947 तक जैसा था। उसमें कोई चेंज नहीं होगा। 

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