पितृ पक्ष में कौवे को भोजन कराने से जुड़ी हैं कई मान्यताएं, जानिए…

Pitru Paksha : हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व होता है. इन दिनों में दिवंगत पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध करना महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या तक, 16 दिनों तक चलता है। इस दौरान, श्राद्ध कर्म किए जाते हैं, जिसमें पितरों को तर्पण, पिंडदान और अन्य धार्मिक अनुष्ठान शामिल होते हैं। पितृ पक्ष में कौवे को भोजन कराना भी एक महत्वपूर्ण और आवश्यक कार्य माना जाता है।
पितृ पक्ष में कौवे को भोजन कराने के कारण
हिंदू धर्म में कौवे को यमदूत का वाहन और यमराज का प्रतीक माना जाता है, जो मृत्यु के देवता हैं। मान्यता है कि पितरों की आत्माएं पितृपक्ष के दौरान पृथ्वी पर आती हैं और कौवे के रूप में भोजन करती हैं। जब हम कौवे को भोजन कराते हैं, तो इसे पितरों को संतुष्ट करने और उनकी आत्मा की तृप्ति का माध्यम माना जाता है।
कुछ मान्यताओं के अनुसार, कौवे को पितरों का संदेशवाहक भी माना जाता है। इसलिए पितृपक्ष में कौवे को भोजन खिलाकर पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने की परंपरा है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार एक कौए ने माता सीता के पैर में चोंच मार दी, जिससे माता सीता को चोट लग गई। भगवान राम ने उस कौए को उसकी गलती के लिए दंडित किया लेकिन बाद में उसे माफ कर दिया और यह वरदान दिया कि उसके माध्यम से पूर्वजों को मोक्ष मिलेगा। इस कथा के आधार पर पितृ पक्ष में कौवे को भोजन कराने की परंपरा की शुरुआत हुई।
इन मान्यताओं और परंपराओं के माध्यम से, पितृ पक्ष के दौरान कौवे को भोजन कराना एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक प्रथा है, जो पितरों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद प्राप्त करने का साधन माना जाता है।
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