बॉलीवुड पर भारी पड़ा OTT, कहीं हो न जाए बासी !
OTT Platform: आजकल मनोरंजन के साधन में कोई कमी नहीं है. OTT के जमाने में एंटरटेनमेंट जस्ट वन स्टेप अवे है. यही कारण है कि हाल के कुछ वक्त में बॉलीवुड फिल्मों से ज्यादा डिमांड ओटीटी प्लेटफॉर्म की बढ़ी है. और इसकी सबसे बड़ी वजह रही है OTT का कंटेंट. कोविड के बाद से OTT ने दर्शकों को काफी अच्छा कंटेंट दिया है.
न्यू फॉर्म ऑफ एंटरटेनमेंट
बासी होती बॉलीवुड फिल्मों की स्क्रिप्ट के चलते मनोरंजन ढूंढ रहे दर्शकों का ओटीटी ने भरपूर साथ दिया है. क्योंकि दर्शक कुछ नया देखना चाहते थे, जो कि दशकों पुराना बॉलीवुड उन्हें प्रोवाइड नहीं कर पा रहा था. वो मनोरंजन का वो एसेंस ओटीटी के माध्यम बिल्कुल प्योर मिला.
OTT Platform- गज़ब की स्क्रिप्ट
सोने पर सुहागा ओटीटी की कुछ उम्दा स्क्रिप्ट होती थी, जो कुछ अपनी सी मगर हटके थी. कोरोना काल में जब सिनेमा हॉल बंद थे, तब ओवर द टॉप यानी ओटीटी ने घर घर में अपनी जगह बनाई. बिल्कुल वैसे ही जैसे सास बहु सीरियलों ने एक ज़माने में बनाई थी. यहां फर्क सिर्फ इतना था कि ओटीटी से केवल महिलाएं ही नहीं बल्कि यूथ का जुड़ाव ज्यादा है.
OTT Platform के बेहतरीन ऑप्शन
फिर ओटीटी में ऑप्शन भी तो कई हैं. दर्शकों के पास नेटफ्लिक्स, अमेजॉन प्राइम, जियो सिनेमा, डिज़्नी प्लस हॉट स्टार, जी फाइव, शैमारू और सोनी लिव जैसे कई प्लेटफॉर्म हैं.
साल दर साल ओटीटी के यूजर्स भी बढ़े हैं और इसका रेवन्यू भी बढ़ा है. आगे आने वाले सालों में ये लगातार बढ़ने ही वाला है.
बॉलीवुड में फिल्मों की एक जैसी कहानी
जहां एक तरफ़ ब़ॉलीवुड केवल फॉर्मूला फिल्में जैसे Biopic और रिमेक को तव्वजू देता है वहीं ओटीटी के कंटेंट ने अहम रोल अदा किया है. लेकिन समय के साथ-साथ ओटीटी कंटेंट में भी रेपिटिशन आया है.
अब ओटीटी के कंटेंट में भी कुछ कमी
जहां एक वक्त कई ओटीटी सीरीज़ की स्क्रिप्ट दर्शकों को जोड़े रखती थी, अब उसमें कुछ दूरियां आ रही हैं. एक तो ओटीटी बॉलीवुड फिल्मों को अपने प्लेटफॉर्म पर दिखाने में समय लेता है, वो भी कम से कम दो महीने. तब तक फिल्म अधिकतर लोग देख चुके होते हैं या फिर दर्शकों का इंटरेस्ट ही खत्म हो जाता है. साथ ही कंटेंट पर भी मेहनत कुछ कम हुई है.
OTT Platform को मेहनत की जरूररत
ऐसे में ओटीटी मीडियम को अपना कारोबार बढ़ाने के लिए कुछ मेहनत और क्रिएटिविटी जरूर दिखानी होगी नहीं तो ओटीटी का भी हाल बॉलीवुड जैसा हो सका है.
मनोरंजन के और भी हैं साधन
क्योंकि दर्शकों के पास मनोरंजन के साधनों की कमी नहीं है. फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर उन्हें फ्री मनोरंजन मिल जाता है. जहां कंटेंट की भी कोई कमी नहीं. तो फिर पैसे देकर सब्सक्राईबर्स को बासी कंटेंट क्यों देखना.